नई दिल्ली। भारत के स्टार मुक्केबाज विजेंदर सिंह और चीन के जुल्पिकार मैमतअली के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला। इस मुकाबले में भले ही भारतीय मुक्केबाज विजेंद्र सिंह ने बाजी मार ली हो, लेकिन हार के बावजूद भी मैमतअली ने सबका दिल जीत लिया। इसके बाद विजेंदर ने भी फिर कुछ ऐसा किया जिससे एक बार फिर उन्होंने साबित कर दिया कि वो ही असली चैंपियन हैं।
मैमत अली ने किया ये काम
विजेंद्र और मैमत अली के बीच ये मुकाबला 10 राउंड तक चला। 10 राउंड तक चले इस मुकाबले में जुल्पिकार ने विजेंदर को कड़ी टक्कर दी। जीत के बाद विजंदर ने भी माना कि जुल्पिकार ने उनकी उम्मीद से ज़्यादा अच्छा प्रदर्शन किया। क्योंकि मैच से पहले विजेंदर ने कहा था कि वो (जुल्पिकार) चाइनीज माल है, ज़्यादा नहीं चलेगा। लेकिन विजंदर ने माना की जुल्पिकार ने उनसे कड़ा मुकाबला किया। जुल्पिकार ने अपनी इस हार के बाद अपने सिर की टोपी विजेंदर के सिर पर लगा दी और स्पोर्ट्समैन स्पिरिट का नज़ारा पेश करते हुए दिखाया कि वो हार के बाद भी लोगों का दिल जीतना जानते हैं।
विजेंदर ने भी मारा नहले पर दहला
इस जीत से विजेंदर ने अपना डब्लूबीओ एशिया पसिफिक सुपर मिडिलवेट का खिताब बरकरार रखा। इसके साथ-साथ विजेंदर ने डब्ल्यूबीओ ऑरियंटल सुपर मिडलवेट का खिताब भी अपने नाम कर लिया। लेकिन यह मुकाबला जीतने के बाद विजेंदर सिंह ने मैमैतियाली को अपना बड़ा दिल भी दिखाया और उन्होंने मैमैतियाली की बेल्ट उन्हें वापस लौटा दी।
विजेंदर ने दोस्ती का परिचय देते हुए मैमैतियाली को उनकी हारी बेल्ट लौटाने के बाद कहा, ‘यह शांति के लिए है इसलिए मैंने उसे यह कहते हुए बेल्ट वापस कर दी कि मेरे (भारत के) क्षेत्र में मत आना।’
It's about peace that's why gave belt to him to say dont come to my territory: Vijender Singh on his friendly gesture to China's Maimaitiali pic.twitter.com/4rwtJOPwmJ
— ANI (@ANI) August 6, 2017
दिग्गजों का लगा जमावड़ा
विजेंद्र का मुकाबला देखने के लिए बॉलीवुड के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन अपने बेटे अभिषेक बच्चन के साथ मौजूद थे। इसके अलावा बैडमैन गुलशन ग्रोवर और भी विजेंद्र को सपोर्ट करते दिखे। योगगुरु बाबा रामदेव भी विजेंद्र का मुकाबला देखने पहुंचे। विजेंद्र ने इस मुकाबले के लिए अपने ट्रेनर ली बीयर्ड के साथ मैनचेस्टर में कड़ा अभ्यास किया था। विजेंद्र ने मुकाबले का पहला टिकट दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को उनके आवास पर जाकर दिया था।
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