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मनोहर सरकार ने वरिष्ठ आइएएस खेमका को दी क्लीन चिट, चार्जशीट ली वापस

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PBK NEWS | चंडीगढ़। हरियाणा के सीनियर आइएएस अधिकारी डॉ. अशोक खेमका को करीब 87 हजार क्विंटल गेहूं का सर्टिफाइड (प्रमाणित) बीज कम बेचने के आरोप में दी गई चार्जशीट वापस ले ली गई है।

हुड्डा सरकार ने चार्जशीट की सिफारिश की थी और मनोहर सरकार ने सिफारिश के करीब तीन साल बाद जुलाई 2016 में खेमका को चार्जशीट कर दिया था। मनोहर सरकार ने अपने कार्यकाल में खेमका से यह तीसरी चार्जशीट वापस ली है। वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील और मूंग दाल के बीज की बिक्री के मामले में पिछली हुड्डा सरकार द्वारा दी गई चार्जशीट मनोहर सरकार पहले वापस ले चुकी है।

1991 बैच के आइएएस अशोक खेमका फिलहाल साइंस एंड टेक्नालाजी डिपार्टमेंट में प्रधान सचिव हैैं। उन पर आरोप लगाया गया था कि अक्टूबर 2012 से अप्रैल 2013 के बीच हरियाणा बीज विकास निगम के प्रबंध निदेशक (एमडी) रहते हुए उनके कार्यकाल में गेहूं का 87 हजार क्विंटल प्रमाणित बीज कम बिका, जिसकी कीमत 22.21 करोड़ रुपये थी। इसके लिए सीधे तौर पर खेमका को जिम्मेदार ठहराया गया। उन्हें इस पद से हटाने के बाद राज्य चकबंदी विभाग में महानिदेशक लगाया गया, जिसके बाद उन्होंने गुरुग्र्राम के शिकोहपुर में राबर्ट वाड्रा की कंपनी और डीएलएफ के जमीन सौदे का इंतकाल रद कर दिया था।

अशोक खेमका ने 22 फरवरी 2017 को मुख्य सचिव डीएस ढेसी को अपना जवाब भेजा। खेमका के जवाब के बारे में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों से राय ली गई, जिसके बाद सरकार ने खेमका को दी गई चार्जशीट वापस लेने के आदेश जारी कर दिए हैैं। खेमका ने पूरे आंकड़ों के साथ अपना जवाब दिया और कृषि विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव (अब रिटायर हो चुके) पर गंभीर आरोप जड़े। खेमका ने चार्जशीट का जवाब देने के लिए सरकार से तमाम दस्तावेज मांगे थे।

हुड्डा के मंत्री परमवीर सिंह भी कर चुके जवाब तलब

पिछली हुड्डा सरकार के कृषि मंत्री परमवीर सिंह ने खेमका को नोटिस जारी कर कम बीज की बिक्री के मामले में जवाब मांगा था। परमवीर सिंह ने वर्ष 2007 से 2012 तक हुई बीज बिक्री का हवाला देते हुए पूछा था कि अचानक बीज की बिक्री में गिरावट कैसे आ गई। खेमका ने जवाब तो दिया था, लेकिन पिछली हुड्डा सरकार उनके जवाब से संतुष्ट नहीं थी।

इससे पहले हो चुकी दो चार्जशीट वापस

हुड्डा सरकार ने खेमका को वाड्रा डीएलएफ लैंड डील मामले में म्यूटेशन रद करने को लेकर चार्जशीट किया था। इसे भाजपा सरकार ने 4 नवंबर 2015 को वापस ले लिया था। मूंग दाल के बीज खरीद मामले में भी आरोपमुक्त किया जा चुका है।

कैग ने भी उठाए थे बीज की कम बिक्री पर सवाल

कांग्रेस सरकार के समय वर्ष 2012-13 में खेमका बीज विकास निगम में एमडी के पद पर तैनात थे। उस समय बीज विकास निगम के माध्यम से किसानों को दिए जाने के लिए गेहूं का बीज खरीदा गया था। आरोप था कि खेमका ने बीज वितरण के काम की सही तरीके से निगरानी नहीं की और करीब 87 हजार क्ंिवटल गेहूं का बीज बेचा ही नहीं गया। इसके चलते सरकार को करीब 22.21 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। सीएजी (कैग) ने रिपोर्ट में गंभीर टिप्पणियां की थीं। इसके आधार पर सरकार ने खेमका को चार्जशीट किया था।

इन आंकड़ों को बनाया गया था कार्रवाई का आधार

वित्त वर्ष गेहूं बीज की खपत 

2007-08 – 97.5 फीसद बिक्री

2008-09 – 86.2 फीसद बिक्री

2009-10  – 99.9 फीसद बिक्री

2010-11 -100 फीसद बिक्री

2011-12 – 98 फीसद  बिक्री

2012-13 – 72 फीसद बिक्री।

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