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चीन को जबाव, भारतीय सेना सीमा पर हर चुनौती का सामना करने में सक्षम

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PBK NEWS | नई दिल्ली। दो महीने बाद भी डोकलाम मुद्दे का कोई सर्वमान्य हल निकलता नहीं देख जहां चीन की तरफ से दबाव बढ़ाने की कोशिश तेज हो गई है वहीं भारत ने कूटनीतिक भाषा में यह स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी दबाव में नहीं आने वाला है। चीन की सरकारी मीडिया के बाद वहां की सरकार भी अब इस धमकी पर उतर आई है कि डोकलाम का बदला वह कश्मीर या उत्तराखंड में अतिक्रमण कर दे सकती है। दूसरी तरफ भारत ने बहुत ही साफ लहजे में यह कहा है कि वह 1962 की लड़ाई से काफी सबक सीख चुका है। यही नहीं बुधवार को पीएम नरेंद्रमोदी की तरफ से यह कहना कि ‘दुनिया के अन्य कई देश भारत की अगुवाई की तरफ देख रहे हैं’ को भी चीन के संदर्भ में जोड़ कर देखा जा रहा है।

चीन की सरकारी मीडिया ने एक दिन पहले ही भारत को यह धमकी दी है कि अगर वह पीछे नहीं हटा तो चीन की तरफ से सैन्य कार्रवाई होना सुनिश्चित है। अब चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि डोकलाम जैसे कई त्रिपक्षीय इलाके (तीन देशों से जुड़ी सीमा) भारत में है और चीन की सेना उत्तराखंड-नेपाल सीमा पर कालापानी और भारत-पाकिस्तान सीमा पर कश्मीर में प्रवेश कर सकती है। वैसे तो विदेश मंत्रालय की तरफ से इस पर आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि अभी कूटनीतिक कोशिशें चल रही हैं। भारत को जो जवाब देना है वह कूटनीतिक स्तर पर ही दी जाएगी।लेकिन आज भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और रक्षा व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ पर विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए जो बातें कहीं वह चीन को संदेश देने के लिए काफी हैं।

जेटली ने राज्य सभा में कहा कि, ”भारत हर चुनौती के बाद ज्यादा मजबूत हुआ है। वर्ष 1962 में चीन के युद्ध से भी भारत ने काफी कुछ सीखा है। चुनौतियां आज भी हैं लेकिन भारत की सेना पूर्वी या पश्चिमी सीमा की रक्षा करने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं। देश के जवान हर तरह की कुर्बानी देने को तैयार हैं।” डोकलाम विवाद उत्पन्न होने के तुरंत बाद चीन की तरफ से भारत को वर्ष 1962 का युद्ध याद दिलाया गया था। तब जेटली ने कहा था कि वक्त काफी बदल गया है। उसके बाद भारत सरकार की तरफ से कभी कोई आक्रामक बयान नहीं दिया गया। इस मुद्दे संसद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का बयान भी काफी संयमित था।

कश्मीर को लेकर दबाव बनाने की रणनीति अपना रहे चीन का नाम लिये बगैर जेटली ने यह याद दिलाया कि कश्मीर का एक हिस्सा पड़ोसी देश के पास है लेकिन हर भारतीय की यह इच्छा है कि उस हिस्से को कैसे वापस लिया जाए। सनद रहे कि कश्मीर के एक बड़े हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा है। इसका कुछ हिस्सा पाकिस्तान ने चीन को दे दिया है। भारत की तरफ से कूटनीतिक संदेश का सिलसिला यही खत्म नहीं हुआ पीएम मोदी का लोकसभा में दिये गये भाषण भई संकेतों से भरा हुआ था। मोदी ने कहा कि दुनिया के कई देश भारत की तरफ अगुवाई की तरफ देख रहे हैं। माना जा रहा है कि उनका इशारा चीन की विस्तारवादी नीतियों से परेशान तमाम छोटे देशों की तरफ था।

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