-उठा रहा है सवाल, क्या बेटियों से रोटी बनवाने के लिए चल रहा है ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान
चंडीगढ़ । कोख में लड़कियों की हत्या रोकने और फिर उन्हें चूल्हे से दूर करने के लिए शुरू किया गया ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान पर अब पुरुषवादी मानसिकता हावी होती दिख रही है। हरियाणा सरकार के एक कथित विज्ञापन की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही है। विज्ञापन की भाषा और डिजाइन पर गौर करें तो इसमें यह बताने की कोशिश की गई है कि बेटियों का असली काम घर का चूल्हा चौका करना ही है। विज्ञापन पर लिखा गया है, कैसे खाओगे उनके हाथ की रोटियां, जब पैदा ही नहीं होने दोगे बेटियां।
विज्ञापन में एक लड़की को रोटी बनाते हुए पोट्रेट किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता रंजना कुमारी ने विज्ञापन की तस्वीर शेयर करते हुए कहा कि यही है हरियाणा का ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ मॉडल। हमें इसी पितृसत्तात्मक विचारधारा और मानसिकता से लड़ना है। उन्होंने अपने ट्वीट में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी को भी टैग किया है। उनके ट्वीट को कई सोशल मीडिया यूजर्स ने शेयर किया है। बता दें कि लैंगिक असमानता को रोकने और लड़कियों को स्कूलों तक पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा से ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना की शुरुआत की थी। हरियाणा में लैंगिक असमानता बड़ी समस्या है। यही वजह है कि हरियाणा सरकार जोर-शोर से ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान चला रही है।
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