केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने गुरुग्राम की घटना को एक सबक के तौर पर लेने की ताकीद की है और कहा है कि निजी अस्पतालों समेत सभी महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य संस्थानों में गलत कार्य करने पर कड़ी कार्रवाई तय की जाए। फोर्टिस में एक तरफ मरीज के परिवार से हैरत में डाल देने वाला बिल वसूला गया, और दूसरी तरफ, उपचार मानकों का पालन भी नहीं किया गया। सवाल है कि यह एक रस्मी पत्र साबित होगा, या सचमुच कोई फर्क आएगा? स्वास्थ्य मंत्रालय को ऐसी चिंता तभी क्यों सताती है, जब इलाज का बेजा बिल बनाने का कोई वाकया सुर्खियों में आ जाता है? बढ़ा-चढ़ा कर बिल बनाना निजी अस्पतालों का रोज का धंधा है। क्या मंत्रालय इससे अनजान रहा है?
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