[post-views]

मानेसर में भूमि अधिग्रहण रद्द कराने को लेकर सीएम के नाम उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन

51

हरियाणा सरकार द्वारा 2004 में जमीन अधिग्रहण करने की आपातकालीन धारा 17 बी के तहत किये गये भूमि अधिग्रहण से उत्पन्न हुई परेशानियों एवं सभी भू स्वामियों को एक समान न्याय न मिलने की वजह से छ: गांवों क्रमश: गांव नखरौला, नवादा-फतेहपुर, नाहरपुर-कासन, शिकोहपुर, रामपुरा एवं नौरंगपुर गांवों के प्रभावित भू स्वामियों द्वारा पिछले करीब दो महीने से नेशनल हाईवे नंबर 48, रिलायंस पेट्रोल पंप के सामने, ग्राम नखरौला के राजस्व क्षेत्र पर टेंट लगाकर अपनी जायज मांगों को लेकर शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। अपनी इन जायज मांगों को लेकर किसानों द्वारा पिछले दिनों विधानसभा पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता एवं तहसीलदार मानेसर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया था। इसी क्रम में आज प्रभावित एवं दु:खी किसानों द्वारा अपनी जायज मांगों को लेकर जिला उपायुक्त गुरुग्राम को मुख्यमंत्री हरियाणा के नाम ज्ञापन सौंपा गया। उक्त विषय में जानकारी देते हुए सूर्य देव सिंह ने बताया कि आज पटौदी विधानसभा की पूर्व विधायिका बिमला चौधरी ने किसानों को धरना स्थल पर पहुचकर अपना समर्थन दिया एवं बाद में सभी किसान पूर्व विधायिका बिमला चौधरी के नेतृत्व में उपायुक्त गुरुग्राम को ज्ञापन सौंपने पहुंचे। उन्होंने बताया कि 2004 में तत्कालीन हरियाणा सरकार द्वारा इमरजेंसी धारा 17बी लगाकर की गई जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसान हाई कोर्ट पहुंचे और हाईकोर्ट द्वारा यह स्थापित किया गया कि सरकार के सामने किसानों की जमीन लेने की ऐसी कोई इमरजेंसी नहीं थी। जिसकी वजह से सेक्शन 17 बी के तहत जमीन इमरजेंसी में अधिग्रहण की जाऐ। सूर्यदेव ने बताया कि इसलिए कोर्ट ने सेक्शन 17 बी के तहत अधिग्रहण को गलत ठहराया परंतु कोर्ट ने अपने उसी फैसले में कई प्रकार की कैटेगरी भी बना दी। परिणाम स्वरूप आज एक ही गांव के लोगों की एक ही अवार्ड के तहत अधिग्रहण की गई भूमि पर सभी किसानों को एक समान न्याय नहीं मिल पाया है। किसानों का कहना है कि 17 साल पहले अधिग्रहण की गई जमीन कि सरकार को आज तक भी जरूरत नहीं पड़ी है, क्योंकि आज भी अधिग्रहण की गई जमीन की फिजिकल पौजेशन जमीन के असली मालिकों के पास ही है। इससे सिद्ध होता है की 17 साल पहले अधिग्रहण की गई भूमि की जब सरकार को आज तक भी आवश्यकता नहीं पड़ी है तो उस समय किया गया यह अधिग्रहण गलत है। किसानों ने आगे बताया कि यदि सरकार को आज इस भूमि की जरूरत है तो सरकार आज के दिन लागू अधिग्रहण की वर्तमान पॉलिसी के मुताबिक किसानों को मुआवजा राशि का भुगतान करें और यह तब संभव है जब 2004 में किये गये अधिग्रहण को पूर्ण रूप से रद्द करके वर्तमान में लागू अधिग्रहण पॉलिसी के तहत फिर से जमीन अधिग्रहण की जाए तथा किसानों को वर्तमान अधिग्रहण पॉलिसी के मुताबिक जितनी और मुआवजा राशि बनती है, वह बकाया मुआवजा राशि किसानों को दी जाए। किसानों ने ज्ञापन के माध्यम से सरकार को अन्य विकल्प भी दिए है। जिसका विस्तृत रूप से ज्ञापन में जिक्र किया गया है। धरना संयोजक ने आगे बताया कि उनके द्वारा दिए गए इस ज्ञापन पर सरकार जल्द किसानों को उचित न्याय प्रदान करें वर्ना यह आंदोलन उग्र रूप धारण करेगा। इस मौके पर विधानसभा पटौदी की पूर्व विधायिका बिमला चौधरी, मंच के संयोजक देशराज ठेकेदार नखरौला, सर्व कर्मचारी संघ प्रधान कंवरलाल, लंबरदार रवि सरपंच, समाजसेवी सूर्य देव यादव, रामनिवास, लाल सिंह, जवाहर, एडवोकेट परविंदर यादव, बसंत, लक्ष्मन सरपंच, नंदकिशोर बोहरा, गांव मानेसर से गजराज प्रधान, उमेद, कैलाश, हरजस सरपंच रामपुरा, सूबेदार महेंद्र सिंह, सुबेदार कर्ण सिंह, प्रदीप सरपंच नौरंगपुर, रत्न सिंह खातौदिया नवादा, दीपक लंबरदार नहारपुर, राकेश हयातपुर, दलीप सिंह चौकीदार एवं सभी छहों गावों से सैकड़ों मौजिज मौजिज व्यक्ति ज्ञापन देने पहुंचे।

Comments are closed.