आयुष्मान भारत कार्यान्वयन के प्रारंभिक चरण में है और सरकार उचित समय पर योजना में उचित बदलाव करने के लिए तैयार है: डॉ. जितेंद्र सिंह
नई दिल्ली, 01जुलाई। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना दुनिया की अब तक की सबसे अच्छी स्वास्थ्य बीमा योजना है और इसकी परिकल्पना करने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि संभवतः यह दुनिया की एकमात्र स्वास्थ्य बीमा योजना है जो पहले से मौजूद बीमारी के लिए भी बीमा कवर लेने का विकल्प प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, यदि आज किसी व्यक्ति को कैंसर होने का पता चलता है, तो वह इसके लिए जा सकता है और इलाज के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए अपना बीमा करवा सकता है।
नई दिल्ली में आज डॉक्टर दिवस की पूर्व संध्या पर इकोनॉमिक टाइम्स डॉक्टर्स डे कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना लाकर, भारत स्वास्थ्य सेवा वितरण के क्षेत्रीय और खंडित दृष्टिकोण से व्यापक आवश्यकता-आधारित स्वास्थ्य देखभाल सेवा की ओर अग्रसर हो गया है। केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा कि यह अनूठी योजना है, जहां कोई पहले से मौजूद बीमारियों के लिए भी पंजीकरण करा सकता है। उन्होंने बताया कि आर्थिक मानदंडों के बावजूद स्वास्थ्य योजना का सार्वभौमिक कवरेज करने वाला जम्मू-कश्मीर पहला केंद्र शासित प्रदेश था।
केंद्रीय मंत्री महोदय ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना पात्र लाभार्थियों को सर्वोत्तम अस्पतालों में पांच लाख रुपये तक का निशुल्क उपचार प्रदान करती है। योजना के कार्यान्वयन में कुछ अनियमितताओं के बारे में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि हम इस योजना के कार्यान्वयन के प्रारंभिक चरण में हैं और सरकार उचित समय में योजना में आवश्यकतानुसार उचित बदलाव करने के लिए तैयार है। केंद्रीय मंत्री महोदय ने इस बात पर भी बल दिया कि भारत जैसे विशाल विविधता वाले देश में अखंडता एक बड़ा कारक है और धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से यह स्वास्थ्य बीमा योजना दुनिया के लिए अनुकरणीय मॉडल बन जाएगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोविड महामारी ने हमें समग्र स्वास्थ्य देखभाल के गुण सिखाए हैं और महामारी बीत जाने के बाद भी, विभिन्न बीमारियों के पर्याप्त उपचार और रोकथाम के लिए एकीकृत औषधीय दृष्टिकोण को संस्थागत बनाना मानव जाति के हित में होगा। केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान पश्चिमी देशों ने भी आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, योग, प्राकृतिक चिकित्सा और अन्य पूर्वी विकल्पों से ली गई प्रतिरक्षा निर्माण तकनीकों की तलाश में भारत की ओर देखना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि हालांकि, कोविड महामारी का चरण समाप्त होने के बाद भी, चिकित्सा प्रबंधन की विभिन्न धाराओं का एक अधिकतम एकीकरण और तालमेल विभिन्न बीमारियों और विकारों के सफल प्रबंधन की कुंजी है, जो अन्यथा चिकित्सा की किसी भी एक धारा द्वारा इलाज या साइलोज़ में दिए जाने वाले उपचार के लिए पूरी तरह से उत्तरदायी नहीं हो सकते हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि जब कोविड-19 ने हमें प्रभावित किया, तो भारत ने मार्च 2020 में टेलीमेडिसिन अभ्यास दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया और हमने अप्रैल 2020 में आयुष के लिए भी ऐसा ही किया। उन्होंने कहा कि भारत इन दिशानिर्देशों को तुरंत अधिसूचित कर सकता था क्योंकि हमारा जमीनी काम पूरा हो चुका था और इसके लिए हम तैयार थे। केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा कि हमें ‘सभी के लिए डिजिटल स्वास्थ्य’ सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए, जो ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ हासिल करने की पूर्व शर्त है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता ही थी कि वर्ष 2014 में सत्ता में आने के तुरंत बाद, उन्होंने दुनिया में कोविड-19 महामारी के आने से बहुत पहले ‘डिजिटल इंडिया’ का शक्तिशाली दृष्टिकोण साझा किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन के समापन में कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही थे जिन्होंने वर्ष 2015 में लाल किला की प्राचीर से स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया का आह्वान किया था, जब भारत में केवल 350 स्टार्टअप चल रहे थे और अब देश दुनिया में स्टार्टअप के हिसाब से तीसरे स्थान पर है, जिनमें लगभग एक लाख स्टार्टअप और 100 से अधिक यूनिकॉर्न और उनमें से कई स्वास्थ्य और बायोटेक स्टार्टअप शामिल हैं।
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