गुड़गांव, 6 दिसम्बर (ब्यूरो) : अशोका इंटरनेशनल स्कूल की प्रधानाचार्य शशि यादव कहती है कि बेहतर माहौल बच्चों के पढ़ने-लिखने के लिए बेहद जरूरी है जिसके लिए अभिभावकों को बेहद ध्यान रखने की जरूरत है
यदि हम चाहते हैं कि बच्चे अच्छे पाठक बनें तो यह अत्यंत आवश्यक है कि उनके आसपास अलग-अलग तरह की मुद्रित कहानियों, कविताओं, चुटकुलों, पहेलियों, घटना एवं अनुभव आदि का भण्डार हो। यह वातावरण बच्चों को पढ़ना-लिखना सीखने में आधारभूत रूप से मदद करता है।”
- समग्र-भाषा वाले शिक्षण कोहोल लैंग्वेज अप्रोच भी कहते हैं। इसमें शिक्षक बच्चों को प्रतिदिन कहानी-कविता सुनाते हैं।
- बच्चों को कहानी व कविताओं के स्वतंत्र पठन का समय दिया जाता है।
- बच्चों को विभिन्न घटनाओं पर चर्चा के लिए प्रेरित किया जाता है।
- उनको कहानी पर अनुमान लगाने और अपने अनुभवों को साझा करने का अवसर दिया जाता है।
- ऐसी कक्षा में बच्चों के विचारों के लिए पर्याप्त जगह होती है, शिक्षक बच्चों के विचारों व सवालों का सम्मान करते हैं।
- समग्र-भाषा की कक्षा में अर्थ निर्माण के ऊपर ध्यान दिया जाता है।
- इस तरह के शिक्षण में बच्चे कहानियों से वाक्य संरचना, शब्दों के अर्थ इत्यादि स्वतः सीख जाते हैं।
- ऐसी कक्षा में बच्चों के ऊपर कोई दबाव नहीं होता। वे सहजता के साथ भाषा कालांश में भागीदारी करते हैं।
- समग्र भाषा शिक्षण में लेखन के अंतर्गत नए विचारों को व्यक्त करने और दोस्तों के साथ साझा करने को प्रोत्साहित किया जाता है।
- भाषा शिक्षण के ऐसे तरीके में हर बच्चे को भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ताकि वह सक्रिय रहकर सीख सके।
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