गुड़गांव, 8 जुलाई (अजय) : GST सिस्टम ठीक नही होने से पुरे देश की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है उक्त विषय में नव जन चेतना मंच से वशिष्ठ गोयल ने बोलते हुए कहा उन्होंने कहा कि बेहतर GST सिस्टम नही होने से ही आज देश में व्यापार प्रभावित हो रहा है
ज्ञात हो कि गुड़गांव में वैट व जीएसटी के तहत गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट का क्लेम करने के दो मामलों में गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) रिटर्न भरने वाले सीए को मास्टर माइंड मान रही है। पुलिस ने एक्साइज एंड टैक्सेशन क्लर्क गौरव बहल और चार्टर्ड एकाउंटेंट राकेश अरोड़ा को गिरफ्तार किया है। पुलिस सीए को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है, जबकि क्लर्क गौरव को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। मामलों में अबतक किसी अधिकारी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस टैक्स अफसरों से पूछताछ कर रही है, जल्द ही अफसरों की भी गिरफ्तारी संभव है। एसआईटी सदस्य एसीपी संदीप मलिक ने बताया कि फर्जी कंपनी होने के चलते मैसर्स विपिन इंटरप्राइजेज के मालिक का कोई पता नहीं लगा, जबकि उमा ट्रेडर्स अस्तित्व में है। उसके मालिक से पूछताछ की गई है। उमा ट्रेडर्स के मालिक ने टैक्स रिटर्न व क्रेडिट इनपुट के दावे के संबंध में अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होंने दलील दी कि उन्होंने सीए राकेश को टैक्स से संबंधित सभी दस्तावेज दिए थे। सीए ने क्या रिटर्न भरा व क्या दावेदारी की? उन्हें जानकारी नहीं है। उमा ट्रेडर्स के मालिक को फिलहाल गिरफ्तार नहीं किया गया है। जरूरत पड़ने पर गिरफ्तारी होगी। मामले में सीए राकेश ही मास्टरमाइंड है, उसे गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है। वैट व जीएसटी घोटाले का यह मामला वित्त वर्ष 2015-16 से लेकर जीएसटी लागू होने के बाद सितंबर 2017 तक का है। जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद घोटाले का खुलासा हुआ। पुलिस ने गुड़गांव की मैसर्स विपिन एंटरप्राइजेज और मैसर्स उमा ट्रेडर्स के खिलाफ बीते फरवरी में एफआईआर दर्ज की थी। जांच के लिए सरकार ने एसआईटी गठित की है। दोनों मामलों में कंपनियों के मालिक अब तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं।
ये है उमा ट्रेडर्स पर आरोप
दूसरी तरफ, मैसर्स उमा ट्रेडर्स के खिलाफ आरोप है कि फर्म को वैट अधिनियम के तहत 25 सितंबर 2014 से टैक्स अदा करने की देनदारी के साथ पंजीकृत किया गया था। फर्म ने साल 2015-16 के लिए पहली, दूसरी और तीसरी त्रैमासिक रिटर्न दाखिल की और क्रमश: 3.03 करोड़ रुपए से अधिक, शून्य और 43.92 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार की घोषणा की। आंकलन साल 2016-17 और आंकलन साल 2017-18 की पहली तिमाही के लिए कोई रिटर्न दाखिल नहीं किया गया। डीलर ने तीनों तिमाहियों में ना तो कोई कर अदायगी की, ना ही बढ़े हुए मूल्य यानि वैट पर कर का भुगतान किया। इसके अतिरिक्त, पहली तिमाही में, बिक्री के जरिए दिखाई वेल्यू इनहांसमेंट की गई खरीद की तुलना में बहुत अधिक है, जो सामान्य व्यापार प्रणाली में संभव नहीं है। जीएसटी में डीलर ने केवल जुलाई 2017 के लिए जीएसटीआर-3बी और जीएसटीआर-1 दाखिल की है। उमा ट्रेडर्स ने जुलाई 2017 की अवधि के दौरान आईटीसी का उपयोग करके 2.61 करोड़ रुपए से अधिक की आईजीएसटी की अपनी आउटपुट टैक्स देयता छोड़ी है। इसके अलावा, डीलर ने 30.66 लाख रुपए के आईटीसी का उपयोग करके प्रत्येक शीर्ष में 15.33 लाख रुपए से अधिक के राज्य माल और सेवा कर (एसजीएसटी) और केंद्रीय माल और सेवा कर (सीजीएसटी) में आउटपुट टैक्स देयता भी छोड़ दी (डिस्चार्जड) है।
डीलर ने वर्ष 2015-16 के चौथे तिमाही के लिए रिटर्न दाखिल नहीं किया और इससे आगे डीलर द्वारा कोई त्रैमासिक रिटर्न दाखिल नहीं किया गया। वर्तमान कानून के तहत नियुक्ति दिवस के बाद तुरंत छह महीने के अवधि के लिए सभी रिटर्न जमा नहीं कराया गया है, हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 144 (1) के अनुसार वैट व्यवस्था में इनपुट टैक्स को जमा कराने की अनुमति नहीं है।
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