PBK NEWS | नई दिल्ली। तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले को पीएम नरेंद्र मोदी ने एक ऐतिहासिक फैसला बताया है। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘तीन तलाक पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय ऐतिहासिक है। यह मुस्लिम महिलाओं को बराबरी का हक प्रदान करता है तथा महिला सशक्तिकरण की तरफ एक बड़ा कदम है।’
Judgment of the Hon'ble SC on Triple Talaq is historic. It grants equality to Muslim women and is a powerful measure for women empowerment.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 22, 2017
वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी इस फैसले को एक नये युग की शुरूआत बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय, मुस्लिम महिलाओं के लिए स्वाभिमान पूर्ण एवं समानता के एक नए युग की शुरुआत। उन्होंने कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं के अधिकार की विजय है। दुनिया के दूसरे देशों में भी अब तीन तलाक का कानून अब अस्तित्व में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाकर करोड़ो मुस्लिम महिलाओं को समानता और आत्मसम्मान के साथ जीने का अधिकार दिया है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, ‘अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही सभी पीड़ित महिलाओं के हक में आए इस फैसले का स्वागत करता हूं और उनका अभिनंदन करता हूं।’ उन्होंने मोदी सरकार द्वारा मुस्लिम महिलाओं के पक्ष को विवेकपूर्ण और न्यायपूर्ण तरीके से सर्वोच्च अदालत के सामने रखने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा मुस्लिम महिलाओं को मिले अधिकारों एवं सम्मान का स्वागत करती है तथा इसे ‘न्यू-इंडिया’ की ओर बढ़ते कदम के रूप में देखती है।’
तीन तलाक पर सुप्रीमकोर्ट का निर्णय- मुस्लिम महिलाओं के लिए स्वाभिमान पूर्ण एवं समानता के एक नए युग की शुरुआत। pic.twitter.com/NDMcZsKJUw
— Amit Shah (@AmitShah) August 22, 2017
क्या कहा कोर्ट ने
- एक साथ तीन तलाक असंवैधानिक। सुप्रीम कोर्ट ने तीन – दो के बहुमत से सुनाया फ़ैसला।
- तीन तलाक पर 6 महीने की रोक।
- मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर और जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने कहा ये 1400 साल पुरानी प्रथा और मुस्लिम धर्म का अभिन्न हिस्सा। कोर्ट नहीं कर सकता रद।
- जस्टिस कुरियन जोसेफ़, जस्टिस आरएएफ़ नारिमन और जस्टिस यूयू ललित ने एक बार मे तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया और इसे खारिज कर दिया।
- तीनों जजों ने 3 तलाक को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करार दिया। जजों ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है।
- जस्टिस नजीर और चीफ जस्टिस खेहर ने नहीं माना था असंवैधानिक। चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस नजीर ने अल्पमत में दिए फैसले में कहा कि तीन तलाक धार्मिक प्रैक्टिस है, इसलिए कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा। दोनों ने कहा कि तीन तलाक पर छह महीने का स्टे लगाया जाना चाहिए, इस बीच में सरकार कानून बना ले और अगर छह महीने में कानून नहीं बनता है तो स्टे जारी रहेगा। हालांकि, दोनों जजों ने माना कि यह पाप है।
- अगर 6 महीने के अंदर तीन तलाक पर कानून नहीं लाया जाता है तो तीन तलाक पर रोक जारी रहेगी।
आपको बता दें कि इस मामले की शुरुआत तब हुई थी जब उत्तराखंड के काशीपुर की शायरा बानो ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर तीन तलाक और निकाह हलाला के चलन की संवैधानिकता को चुनौती दी थी। कोर्ट के फैसले से पहले तीन तलाक की पीड़िता और याचिकाकर्ता शायरा बानो ने कहा कि मुझे लगता है कि फैसला मेरे पक्ष में आएगा। समय बदल गया है और एक कानून जरूर बनाया जाएगा।
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