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बी.एस.एफ. के फौजियों का मनोबल बढ़ाएंगी बहनों की ये राखियां

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PBK News, 7 अगस्त (अजय) : गुरूग्राम रक्षाबंधन सामाजिक, पौराणिक, धार्मिक तथा ऐतिहासिक भावना के धागे से बना एक ऐसा पवित्र बंधन है जिसे जनमानस में रक्षाबंधन के नाम से सावन मास की पूर्णिमा को धूम धाम से मनाया जाता है। यह केवल त्योहार ही नहीं है बल्कि भारत की प्रथा का प्रतीक है। सी.डी. इंटरनेशनल स्कूल गुरूग्राम में रक्षा बंधन का पवित्र पर्व बी.एस.एफ.के फौजियों के साथ पूरे उमंग व उत्साह से मनाया गया। स्कूल छात्राओं द्वारा फौजी भाईयों की कलाई में राखी बांध कर उनकी लंबी उम्र की कामना की। वहीं फौजी भाईयों ने भी प्रेम में भावुक होकर अपनी छोटी बहनों को उपहार में  चाकलेट भेट कर उन्हें स्नेह किया।
  इन राखियों के जरिये वह अपने देश में फौजी भाईयों को यह बताना चाहती हैं कि उनकी बहनें उनसे दूर नहीं हैं। सभी जानते हैं कि त्योहार सीमाओं से बाधित नहीं होता। जो भाई बहन साथ नहीं रहते, उन्हें बहनें राखी पोस्ट से भेजती हैं, ताकि उनकी उपस्थिति भाइयों को महसूस होती रहे। यही कोशिश सी. डी. इंटरनेशनल स्कूल की छात्राओं ने की है। हमारे देश में फौजी भाई हमारे कल के लिए वह अपना आज को कुर्बान कर रहे हैं। जब जवान हमारे लिए इतना कुछ करते हैं, तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हम उनके लिए कुछ करें।
   सी.डी. इंटरनेशनल स्कूल के डायरेक्टर यशपाल यादव ने बताया कि उनके स्कूल की छात्राओं ने अपने हाथों से बनाई राखियों में ढेर सारा प्रेम भरकर सीमा पर तैनात फौजी जवानों की कलाई पर उन्हें बांधा है। बच्चों ने राखी बांधते हुए कहा कि हमारे देशभक्त भाई की लाखों बहनें हैं इस राखी के माध्यम से हम अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करते हंै। छात्राओं ने कहा कि यह सिर्फ राखी नहीं है, रक्षासूत्र है जो कि फौजी भाइयों को दीर्घायु होने की कामना है। कक्षा 7वीं व 8वीं की छात्राओं ने राखी के गानों की प्रस्तुति दी। शिक्षक- शिक्षिकाओं ने भी गानों के माध्यम से रक्षाबंधन की भावनाओं को व्यक्त किया। कक्षा पहली से लेकर कक्षा चौथी तक के विद्यार्थियों के लिए राखी बनाने की प्रतियोगिता रखी गई थी। जिसमें सभी प्रतिभागियों ने बड़ी उत्साह के साथ भाग लेकर अपने रचनात्मक कार्यों को अंजाम देने का प्रयास किया। इन सभी गतिविधियों एवं क्रियाकलापों में बच्चों के चेहरों पर खुशी एवं आनंद की झलक दिखाई दे रही थी। इस त्योहार के अवसर पर आयोजित को सफल बनाने में सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं का सराहनीय योगदान रहा।

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