PBK NEWS | नई दिल्ली/भागलपुर। दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की अग्रिम जमानत याचिका पर शुक्रवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में बहस शुरू हुई। फर्जी डिग्री को लेकर बिहार के के तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने विश्वविद्यालय थाने में बीते 20 जुलाई को तोमर के खिलाफ मामला दर्ज करा रखा है। इस मामले में बचाव पक्ष से वरिष्ठ अधिवक्ता कामेश्वर पांडेय ने पैरवी की।
उन्होंने दावा किया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने भागलपुर में जिन आरोपों के तहत तोमर पर प्राथमिकी दर्ज कराई है, उसी आरोप में दिल्ली में उनपर केस चल रहा है। एक आरोप में दो जगहों पर मुकदमा नहीं चल सकता।
इसलिए उनके मुवक्किल को इस मामले में अग्रिम जमानत दी जाए। इधर सरकार की ओर से लोक अभियोजक सत्यनारायण प्रसाद साह ने कहा कि दोनों जगहों के मुकदमे में तथ्य अलग हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि दोनों प्राथमिकियों का पूरा अध्ययन नहीं किया है, इसलिए अदालत ने उन्हें तोमर के विरुद्ध दिल्ली और यहां दर्ज केस व कागजातों का अध्ययन कर बहस करने को कहा।
अदालत ने इसके लिए आठ अगस्त की तारीख मुकर्रर की है। इसके बाद बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने फैसला आने तक अदालत से अपने मुवक्किल के लिए अंतरिम राहत मांगी, पर अदालत ने इसे स्वीकार नहीं किया। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि दिल्ली बार काउंसिल ने हमारे मुवक्किल (तोमर) पर 2010 में ही एफआइआर किया था।
वहां दर्ज मामले में हमारे मुवक्किल ने बेल लिया है। मामले में चार्जशीट हो चुका है। इसमें भागलपुर विश्वविद्यालय के 10 कर्मी भी आरोपी हैं। सभी पर ट्रायल चल रहा है। इस बीच विश्वविद्यालय प्रशासन ने बिना हमारे मुवक्किल का पक्ष जाने उनकी कानून की डिग्री रद कर दी।
इसको लेकर बीते 13 जुलाई को पटना हाई कोर्ट में सिविल रिट किया गया है। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने हमारे मुवक्किल पर यहां थाने में एफआइआर किया। इसमें वही तथ्य हैं जो दिल्ली में सात साल पहले से चल रहे मुकदमे में हैं।
वहीं लोक अभियोजक ने कहा कि सरसरी तौर पर प्राथमिकी को देखने के बाद स्पष्ट है कि झांसी के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के माइग्रेशन के फर्जी पाए जाने के आधार पर दिल्ली के साकेत में तोमर पर मामला दर्ज हुआ था। यह 2015 की बात है।
इस आधार पर 2016 में भागलपुर में जांच की गई तो यहां भी अभियुक्त के नाम, रोल नंबर और पंजीयन में गड़बड़ी पाई गई। इसे आधार बनाकर यहां अलग एफआइआर दर्ज किया गया है। दोनों जगहों पर दर्ज मामलों का आधार अलग है।
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