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देश के विभिन्न राज्यों से मिल रहा अहीर रजिमेंट आंदोलन को समर्थन : संयुक्त मोर्चा

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बादशाहपुर, 30 मार्च (अजय) : गुरुग्राम के खेड़की दौला टोल प्लाजा पर चल रहे सयुंक्त मोर्चा के अनिश्चित कालीन धरने को लम्बा वक्त बीत रहा है, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार द्वारा इस पर कोई निर्णय नही लिया गया है। जिसको लेकर सयुंक्त मोर्चा टीम ने आज घोषणा करते हुए कहा कि सरकार ने उनकी मांगो को नही माना तो आने वाले समय में देश भर के विभिन्न राज्यों में यह आंदोलन और बड़ा होने जा रहा है। इस आन्दोलन को विभिन्न राज्यों से अब समर्थन मिल है, जिसके बाद अब यह आंदोलन अहीर रजिमेंट गठन के बाद ही खत्म होगा। संयुक्त मोर्चा का कहना है कि आजादी की लड़ाई हो या आजाद भारत का कोई भी युद्ध, अहीरों की वीरगाथा सुनहरे अक्षरों में पढ़ने को मिलती है। भगवान कृष्ण भी क्षत्रिय परिवार में जन्म लेने के बाद भी, अपने आप को यदुवंशी कहलाना गर्व की बात समझते थे। अहिर समाज शुरू से ही पराक्रमी एवं आजादी प्रिय जाती रही है। आधुनिक इतिहास में यूरोपीय बंस में जो स्थान ग्रीक और रोमन लोगों का रहा है। भारतीय इतिहास में वही स्थान अहिर समाज का है। तमिलनाडु के यादव बीरन अलगनत्थू कोण को कौन नहीं जानता। जिन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के विरूद्ध सर्वप्रथम विद्रोह का झंडा उठाया और प्रथम स्वतंत्रता सेनानी के गौरव के साथ वीरगति को प्राप्त हुए। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में बिहार में कुंवर सिंह सेना का नेतृत्व भी रंजीत सिंह यादव ने किया। 10 मई 1857 को दिल्ली के लाल किले पर धावा बोलने वाले क्रांतिकारियों का नेतृत्व रेवाड़ी हरियाणा के राव रामलाल ने किया और किले के किलेदार मिस्टर डग्लस को गोली मार दी। रेवाड़ी के राजा राव तुला राम ने 18 नवंबर 1857 को नारनौल हरियाणा में जनरल गेरार्ड और उसकी सेना का जमकर मुकाबला किया और युद्ध के दौरान राव कृष्ण गोपाल ने गेरार्ड का सिर तलवार से काट कर अलग कर दिया। 2 सितंबर 1863 को इस अप्रीतम वीर का काबुल में देहांत हो गया। जहां आज भी भारतीय वहां पर जाकर उनकी समाधि पर पुष्प माला चढ़ाकर उनको सम्मान देते हैं। इस वीर के वीरगाथा को देखते हुए 23 सितंबर 2001 को उनके नाम पर डाक टिकट जारी किया गया। चौरा चोरी कांड से भला कौन अवगत नहीं होगा।  जिसमें थाने में आग लगाने वाली टीम का नेतृत्व भगवान यादव ने किया था। सुभाष चंद्र बोस के सेना में भी रेवाड़ी के राव तेज सिंह, जो नेता के दाहिने हाथ माने जाते थे। उन्होंने सिर्फ अपने कुल्हाड़ी से 28 अंग्रेज सैनिकों का वध कर दिया था।  नेताजी के सैनिक संगठन आई एन ए का सर्वोच्च सैनिक सम्मान शहीदे ए भारत, नायक मौलार सिंह यादव को और शेर ए हिंद, सम्मान हरि सिंह यादव को दिया गया। कर्नल रामस्वरूप यादव को सरदार ए जंग के सम्मान से सम्मानित किया गया। संयुक्त मोर्चे में समर्थन देने पहुंचे लोगों ने सरकार से मांग कि ऐसे वीर और बलिदानी समाज के लिए अहीर रेजिमेंट की मांग को जल्द से जल्द स्वीकार करें। इस मौके पर अरुण यादव खेड़की, श्योचंद शिकोहपुर, कैलाश यादव मानेसर, धर्मसिंह नंबरदार, सूबेदार वेदप्रकाश, वीरसिंह नवादा, धर्मपाल यादव नाहरपुर, मोनू यादव खेड़की, लाला सिकंदरपुर, लक्ष्मी नारायण नखड़ौला, मान सिंह चेयरमैन, कुंदन नंबरदार खेड़की, रवि डूंडाहेड़ा कैप्टन राजेंद्र खेड़ी खातीवास, राम यादव, अभिषेक एवं दीपक यादव बिहार सहित विभिन्न लोग मोजूद रहे।

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