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गायों को दूध निकालने के बाद लावारिस छोड़ रहे पशुपालक, पोलीथिन खाने को मजबूर

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गुरुग्राम जिले के बादशाहपुर कस्बे सहित शहर के अलग-अलग हिस्सों में कुछ पशुपालक और गौरक्षा की दुहाई देने वाले भी गौ माता को मौत के मुंह में धकेलने में पीछे नहीं हैं। हिंदू धर्म में पूजनीय गौ माता को जितना नुकसान तस्कर पहुंचा रहे हैं, उससे कहीं अधिक पशुपालक भी पहुंचा रहे हैं। यह सच्चाई पंजाब केसरी के एक निरिक्षण के दौरान सामने आई है। नगर निगम द्वारा लावारिस छोड़ने वाले पशुपालकों को सबक सिखाने की योजना पूरी तरह से फेल शाबित हो रही है। इसमें कड़ी कार्रवाई के साथ भारी जुर्माने का भी प्रावधान होना चाहिए, जोकि अभी तक शहर में होता नही दिखाई पड़ रहा है। बादशाहपुर में करीब 5 जगहों पर कूड़े के ढेरों में गाय मुहं मारते हुए पोलीथिन खाते हुए देखि गई, जिससे उसका स्वास्थ्य तो खराब होगा, साथ इस इसी गाय के दूध को लोगों के बिच पहुंचाने वाले उन्ह लापरवाह पशुपालकों की नालायकी का खामियाजा लोगों को बीमार होकर भुगतना होगा।

  शहर में धरातल पर गौवंशीय पशुओं की हालत दिन पर दिन बदतर हो रही है। शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेरों पर लावारिस गायों को मुंह मारते देखा जा सकता है। भूखी प्यासी ये गायें कभी सड़े गले खाद्य पदार्थ और प्लास्टिक की पन्नियां खाकर अपनी भूख मिटाती हैं और प्यास बुझाने के लिए कीचड़युक्त गंदा पानी पीना इनकी मजबूरी बन गई है।  बादशाहपुर व शहर के अन्य हिस्सों की ही बात करें तो यहां वर्तमान में सैकड़ों गौवंशीय पशु सुबह से ही सड़कों पर लावारिस छोड़ दिए जाते हैं। दिन भर इन गायों को गंदगी से ही पेट भरना होता है। जो गायें सड़कों पर अक्सर नजर आती हैं उनमें से अधिकांश गायें पशुपालकों की हैं। पशुपालक सुबह गायों से दूध निकालकर उन्हें खुला छोड़ देते हैं। शाम को गाय से पुन: दूध निकालकर उन्हें रात को बांध दिया जाता है। सुबह होने पर फिर इन्हें छोड़ देते हैं। पशुपालकों द्वारा सड़कों पर छोड़े गए यही गौवंशीय पशु अक्सर तस्करों का निशाना बनती हैं।

 तस्करों की नजर ज्यादातर घुमंतू पशुओं पर ही रहती है। इनमें गायों के छोटे बछड़ों को तस्कर आसानी से वाहनों में डालकर तस्करी करके यूपी के इलाकों में सप्लाई कर देते हैं। वहीं कचरे से दूषित पदार्थ खाने से भी गोवंशीय पशुओं की असामयिक मौत हो रही है। सड़कों पर विचरण करने वाले ये पशु अक्सर वाहनों से दुर्घटना के शिकार भी हो जाते हैं।

पशुपालक और प्रशासन दोनों जिम्मेदार

शहर के लोग गायों की दुर्दशा को लेकर खासे चिंतित हैं। लोगों का कहना है कि गायों की दुर्दशा के लिए पशुपालक और प्रशासन दोनों जिम्मेदार हैं। गायों की दुर्दशा का आलम यह है कि उन्होंने खुद कई बार दुधारू गायों पर आवारा कुत्तों को झपटते देखा है। पशुपालक इन गायों से दूध निकालकर अच्छा खासा मुनाफा कमाते हैं तो इनके उचित रहन-सहन की व्यवस्था उन्हीं को करनी चाहिए।  शहरी क्षेत्र में भी कुछ पशुपालक अपने पशुओं को लावारिस छोड़ रहे हैं। इससे गायों को अधिकांश गंदगी में मुंह मारते देखा गया है। कुछ पशु तस्कर भी इसी का फायदा उठा रहे हैं, जिस पर निगम प्रशासन पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है।

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