नई दिल्ली : सरकार नियंत्रित बैंकों के जिन रिटायर वरिष्ठ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप है और जिनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, उनपर अब केंद्रीय निगरानी आयोग (सीवीसी) नजर रखेगा। आयोग ने सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों से सेवानिवृत्त उच्चाधिकारियों की अनियमितता से संबंधित रिपोर्ट मांगी है, ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
सीवीसी के ध्यान में आया कि सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों ने अनियमितता के बारे में उससे संपर्क नहीं किया है। ऐसा होने से शीर्ष अधिकारी कार्रवाई से बच गए हैं। दो स्तरों पर आयोग से संपर्क किया जाना चाहिए। पहले स्तर पर जब कथित अनियमितता का पता चल गया हो और दूसरे स्तर पर जब सरकारी कर्मचारी पर दंड लगाया जा सकता है। दोनों स्तरों पर परामर्श के लिए संपर्क किया जाना चाहिए। आयोग ने सरकारी क्षेत्र के बैंकों से रिटायर अधिकारियों से संबंधित मामले में पहले और दूसरे स्तर पर संपर्क करने को कहा है।
ऐसे समय में जब सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियां बैंकों में हुई बड़ी जालसाजी की जांच कर रही हैं, तब आयोग का यह कदम महत्वपूर्ण है। बैंकों में हुई जालसाजी में उद्योगपति एवं अन्य संलिप्त हैं। हाल ही में पंजाब नेशनल बैंक के साथ आभूषण कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी द्वारा की गई 13000 करोड़ रुपये से ज्यादा की जालसाजी सामने आई है। इसके अलावा उद्योगपतियों द्वारा सरकारी क्षेत्र के बैंकों के साथ की गई धोखाधड़ी के कई अन्य मामले भी सामने आए हैं। इन मामलों में सीबीआइ ने सरकारी क्षेत्र के बैंक अधिकारियों को भी नामजद किया है।
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