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दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए को लगाई फटकार

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दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बाहरी दिल्ली के नरेला में बने इंटीग्रेटेड फ्रेट कॉरिडोर (आईएफसी) का परिचालन शुरू करने के प्रति उदासीनता दिखाने पर डीडीए को आड़े हाथ लिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने रवैये को भय पैदा करने वाला बताया। नरेला में वर्ष 1980 में इसकी शुरुआत हुई थी,

जिससे दिल्ली से थोक सामान सड़क और रेल मार्ग से अन्य राज्यों और बाहर से यहां लाया जा सके। यहां से सामानों का वितरण राजधानी में किया जा सके। जिससे राजधानी जाम और प्रदूषण से बच सके। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरि. शंकर की पीठ ने कहा है कि डीडीए ने इंटीग्रेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए कई विभागों और लोगों को भूमि आवंटित कर दी। पीठ ने कहा कि संबंधित विभागों ने रसायनों तथा खतरनाक विस्फोटकों के कारोबार को वहां स्थानांतरित करने के अदालती आदेशों का पालन सुनिश्चित किए बगैर मामले में चुप्पी साध ली।

इस बात का संदेह है कि क्या डीडीए ने दिल्ली जल बोर्ड को सीवेज प्रणाली और पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अपनी योजना सौंपी है या जल बोर्ड से उसकी मंजूरी ली है। दिल्ली हाईकोर्ट ने परिवहन विभाग को आवंटित जमीन पर अतिक्रमण पर भी नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि तथ्यों से पता चला है कि प्रस्तावित फायर स्टेशन को स्थानांतरित करने के दमकल विभाग द्वारा 2007 में भेजे पत्र पर डीडीए ने अभी तक कदम नहीं उठाया है।

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