अक्सर खबरें आती रहती हैं कि फलां हीरो या उसके परिजनों ने जरुरतमंदों की मदद की, लेकिन कुछ लोग फिल्मी दुनिया में ऐसे भी हैं जो मदद तो करते हैं, लेकिन उसका ढिंढोरा नहीं पीटते हैं। ऐसे ही परिवार में देओल परिवार को रखा जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि धर्मेंद्र और सनी देओल नहीं चाहते हैं कि उनकी मदद के तौर पर की जाने वाली समाजसेवा की चर्चा भी हो। जबकि पंजाब के किसान यह बताने में गुरेज नहीं करते कि न जाने कितनी दफा देओल परिवार उनकी मदद कर चुका है।
यह बातें इस समय इसलिए उठ रही हैं क्योंकि धर्मेंद्र के जिगरी दोस्त अमिताभ बच्चन से संबंधित पिछले दिनों से एक खबर बहुत तेजी से चल रही है कि वो किसानों के कर्ज चुका रहे हैं। ऐसे में मीडिया ने जय-वीरु के मिजाज में अंतर को बताते हुए यह दिखाने की कोशिश की है कि दोनों में कितना बड़ा फर्क है। एक धर्मेंद्र हैं जो मदद तो करते हैं लेकिन कहीं कहते नहीं और न ही उसे प्रचारित करते हैं, जबकि दूसरी तरफ अमिताभ जैसे लोग हैं जो मदद करने से पहले ही उसे प्रचारित करना शुरु कर देते हैं। यहां पंजाब से मदद की आस लेकर किसान धर्मेंद्र के यहां पहुंचते रहते हैं और उनकी मदद भी की जाती है, लेकिन बगैर ढिंढोरा पीटे, इसी परिपाटी का पालन सनी देओल भी कर रहे हैं।
बताया जाता है कि दुबई में शुरू हुए क्रिकेट के नए फॉर्मेट टी-10 के लिए सनी ने ही योगदान दिया, लेकिन यह बात किसी को मालूम नहीं है। निरीह प्राणियों के लिए कुछ न कुछ करते रहना सनी देओल का शगल है, वो हमेशा आगे आते हैं और इस तरह के काम करते देखे जाते हैं। आपको बतला दें कि सनी खुद भी कुत्ते पालने के शौकीन हैं। बहरहाल यह बात काबिले जिक्र हो गई है कि देओल परिवार दान-पुण्य तो करता है, लेकिन बिना प्रचारित किए हुए।
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