धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षा एवं कौशल विकास में द्विपक्षीय सहयोग को और सशक्त करने तथा आपसी संबंधों को विस्तार देने के लिए सिंगापुर में अपने समकक्ष से की भेंट
नई दिल्ली, 01जून। केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की सिंगापुर यात्रा संपन्न हो गई। धर्मेंद्र प्रधान मौजूदा संबंधों को सशक्त करने और शिक्षा व कौशल विकास में द्विपक्षीय जुड़ाव के दायरे को व्यापक बनाने की संभावना तलाशने के लिए सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर थे।
धर्मेंद्र प्रधान ने सिंगापुर यात्रा के तीसरे व अंतिम दिन अपने सिंगापुर समकक्ष शिक्षा मंत्री महामहिम चान चुन सिंग से भेंट की। दोनों मंत्रियों ने शिक्षा एवं कौशल विकास के सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को और सशक्त करने तथा आपसी संबंधों को विस्तार देने पर काफी सार्थक बातचीत की।
धर्मेंद्र प्रधान ने उन तरीकों का भी निरीक्षण किया, जिनमें सिंगापुर स्कूली स्तर से ही कौशल और व्यावसायिक शिक्षा को समेकित रूप से एकीकृत करने के लिए भारत के साथ भागीदारी कर सकता है। दोनों शिक्षा मंत्री संस्थागत तंत्र के माध्यम से मौजूदा साझेदारी की रूपरेखा को व्यापक बनाने पर सहमत हुए। इस दौरान प्रमुख रूप से शिक्षकों तथा प्रशिक्षकों में क्षमता निर्माण, शिक्षा व कौशल पारिस्थितिकी तंत्र में भविष्य के कौशल को शामिल करने के साथ-साथ विशेष स्कूलों, खेल तथा संबंधित विद्यालयों के साथ जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए आगे की बातचीत की गई।
धर्मेंद्र प्रधान ने पिछली तीन जी20 शिक्षा कार्य समूह की बैठकों में उनकी समृद्ध भागीदारी के लिए सिंगापुर के शिक्षा मंत्रालय और महामहिम चान चुन सिंग का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत एवं सिंगापुर दोनों देशों की और वैश्विक समृद्धि के लिए मिलकर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने बताया कि सिंगापुर का प्रतिनिधिमंडल पुणे में आगामी जी20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेगा।
धर्मेंद्र प्रधान ने देश को भविष्य के लिए तैयार करने के उद्देश्य से सिंगापुर सरकार की एक प्रमुख पहल स्किल्स फ्यूचर सिंगापुर का भी अवलोकन किया। स्किल्स फ्यूचर सिंगापुर (एसएसजी) राष्ट्रीय कौशल भविष्य कार्यक्रम के कार्यान्वयन को संचालित तथा समन्वयित करता है। यह कौशल निपुणता की खोज करने के माध्यम से आजीवन सीखने की संस्कृति एवं समग्र प्रणाली को बढ़ावा देता है, और साथ ही सिंगापुर में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व प्रशिक्षण के इकोसिस्टम को बेहतर बनाता है।
देने वाला समाज बनाने की परिकल्पना करता है। उन्होंने कहा कि कौशल भविष्य की पहल ने सिंगापुर वासियों को अपनी क्षमता को अधिकतम करने की सुविधा दी है और यह कार्यक्रम सिंगापुर के विकास के अगले चरण का एक प्रमुख चालक है। धर्मेंद्र प्रधान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि निरंतर शिक्षा तथा आजीवन सीखना भारत में भी नई शिक्षा नीति का मूल है। उन्होंने कहा कि आज प्राप्त हुई अंतर्दृष्टि भारत के कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को बदलने, भविष्य के लिए उन्मुख कार्यबल तैयार करने और राष्ट्रीय प्रगति को प्राप्त करने के उद्देश्य से हमारी युवा जनसांख्यिकी की पूरी क्षमता का उपयोग करने के हमारे प्रयासों को बढ़ावा देगी।
केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज सिंगापुर यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन का भी भ्रमण किया।
धर्मेंद्र प्रधान ने सिंगापुर की अपनी 3 दिवसीय यात्रा के दौरान, सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री महामहिम लॉरेंस वोंग सहित सिंगापुर सरकार के विभिन्न प्रमुख मंत्रियों से मुलाकात की। इनमें सिंगापुर के व्यापार एवं उद्योग मंत्री महामहिम गन किम योंग; सिंगापुर के विदेश मंत्री महामहिम विवियन बालकृष्णन; वरिष्ठ मंत्री और सामाजिक नीतियों के समन्वयक महामहिम थरमन शनमुगरत्नम शामिल थे। उन्होंने भुवनेश्वर में जी20 फ्यूचर ऑफ वर्क वर्कशॉप के परिणामों के आधार पर उन तरीकों पर चर्चा की, जिनसे भारत आम चुनौतियों का समाधान करने और भारतीय कौशल इकोसिस्टम को बदलने के लिए सिंगापुर की विशेषज्ञता तथा ज्ञान का लाभ ले सकता है।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत और सिंगापुर मजबूत ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं सभ्यतागत संबंध साझा करते हैं। आज हमारी मित्रता पारस्परिकता, आपसी विश्वास और सम्मान पर आधारित है। उन्होंने कहा कि ज्ञान, कौशल व सीमांत क्षेत्रों में साझेदारी को बढ़ाने से हमारी दीर्घकालिक मित्रता में नए आयाम जुड़ेंगे।
धर्मेंद्र प्रधान ने नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, स्पेक्ट्रा सेकेंडरी स्कूल, स्किल्स फ्यूचर सहित इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन सिंगापुर जैसे विभिन्न उच्च श्रेणी के स्कूलों व कौशल संस्थानों का भी दौरा किया।
धर्मेंद्र प्रधान को कार्यबल के प्रशिक्षण के लिए सिंगापुर में अपनाई जा रही सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों और मॉडलों का व्यापक अवलोकन करने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने शिक्षण-अधिगम वातावरण और अध्यापन आदि के बारे में अधिक से अधिक जानने के लिए शिक्षकों के साथ बातचीत की। शिक्षा मंत्री को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सिंगापुर में स्कूल कौशल-आधारित शिक्षा को प्राथमिकता देते हैं और वहां प्रत्येक शिक्षार्थी को भविष्य के कार्यस्थलों के लिए तैयार करने के उद्देश्य से उपयुक्त गति से सीखने को प्रोत्साहित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है। धर्मेंद्र प्रधान ने भारतीय विद्यार्थियों के साथ बातचीत की और उच्च शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार, उद्यमिता तथा सीखने की क्षमता को कक्षा की चार दीवारी से बाहर ले जाने के रोडमैप को बेहतर तरीके से समझने की अंतरदृष्टि प्राप्त की।
धर्मेंद्र प्रधान ने जोर देकर कहा कि 21वीं शताब्दी भारत की सदी बनने जा रही है। उन्होंने कहा कि विश्व स्तरीय वैश्विक शैक्षिक संस्थानों जैसे एनटीयू एवं भारतीय विश्वविद्यालयों को 21वीं सदी में और आगे बढ़ जाने के लिए नए मॉडल बनाने के उद्देश्य से सहयोग करना चाहिए तथा अपने संबंधों को विस्तार देना चाहिए।
शिक्षा मंत्री ने अपनी यात्रा के दौरान सिंगापुर में आईआईटी और आईआईएम के पूर्व छात्रों, ओडिया एसोसिएशन तथा भारतीय जनसमुदाय के सदस्यों से भी मुलाकात की।
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