[post-views]

मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने विझिंजम में आईसीएआर-सीएमएफआरआई क्षेत्रीय केंद्र की गतिविधियों की समीक्षा करने के लिए केरल का किया दौरा

150

नई दिल्ली, 01सितम्बर। मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने आईसीएआर-सीएमएफआरआई-विझिंजम क्षेत्रीय केंद्र का दौरा किया। उन्होंने तिरुवनंतपुरम में समुद्री मछली हैचरी का भी दौरा किया और वहाँ वैज्ञानिकों और मछली किसानों के साथ बातचीत की। आगे उन्होंने नेशनल ब्रूड बैंक ऑफ सिल्वर पोम्पानो, समुद्री सजावटी और लाइव फीड कल्चर यूनिट और बाइवाल्व हैचरी का दौरा किया। डॉ. अभिलक्ष लिखी ने सागरिका समुद्री अनुसंधान मछलीघर का भी दौरा किया।

डॉ. लिखी ने वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने मसल्स हैचरी के तटीय जल मे स्थायी उत्पादन के प्रस्ताव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस महत्वपूर्ण काम को शुरू किया जाना है। उन्होंने आगे कहा कि समुद्र में हैचरी-उत्पादित सीप के अवशेषों की समुद्री खेती के माध्यम से मोती सीपों के प्राकृतिक आवासों को बचाने और संवर्धित करने से संसाधन संरक्षण और आर्थिक स्थायित्व के बीच संतुलन बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस पहल से मसल्स और सीपों के प्राकृतिक आवास के फिर से जीवंत होने की उम्मीद है, जो अंततः कई मछुआरा परिवारों की आजीविका में सहयोग करेगा।

सचिव ने सागरिका समुद्री अनुसंधान मछलीघर और सजावटी मछली हैचरी का भी दौरा किया और वहां सजावटी प्रजातियों की क्षमता जानने को उत्सुक थे।

डॉ. अभिलक्ष लिखी ने आजीविका के विकल्प के रूप में सजावटी मछली के महत्त्व पर प्रकाश डाला और मछली किसानों और उद्यमियों को प्रशिक्षण देकर सजावटी मछली पालन तकनीक को लोकप्रिय बनाने के सीएमएफआरआई के प्रयासों पर का भी उल्लेख किया। उन्होंने मछली किसानों और उद्यमियों के साथ बातचीत की और उन्हें सजावटी मछली उत्पादन इकाइयों में पालने के लिए सजावटी मछली के बीज भी वितरित किए।

मतस्य खेती को पिंजरें में मछली पालन सहित मछुआरा समुदाय की आजीविका के लिए परिवर्तनकारी श्रोत मानते हुए, डीओएफ सचिव ने उल्लेख किया कि सीएमएफआरआई की ‘लाइव फीड हब’ की अवधारणा देश भर में समुद्री फिनफिश और शेलफिश हैचरी के लिए लाइव फीड सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण समाधान है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि खाद्य मछलियों और सजावटी मछलियों की खेती में हैचरी बीज एक महत्वपूर्ण बाधा है। जैसे कि कोपपोड्स जैसे लाइव फीड लार्वा के जिंदा रहने के लिए आवश्यक हैं और इसका उपयोग विभिन्न प्रकार की मछली के लार्वा को खिलाने के लिए किया जा सकता है। डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कई महत्वपूर्ण प्रजातियों की स्टॉक संस्कृति को विकसित करने के लिए सीएमएफआरआई के प्रयासों की सराहना की। आईसीएआर-सीएमएफआरआई, विझिंजम केंद्र जिसमें लाइव फीड का सबसे बड़ा भंडार है और जो मछली और शेलफिश हैचरी संचालन की उत्पादकता और देश में मछली बीज उत्पादन की दक्षता बढ़ाने के लिए लाइव फीड के मुख्य स्रोत के रूप में कार्य कर सकता है।

सचिव ने किसानों, सागरमित्रों के साथ बातचीत की और उनकी स्थिति के बारे में जानकारी लेते हुए धैर्यपूर्वक उनकी शिकायतों को सुना। डीओएफ के सचिव तटीय समुदायों की आय और आजीविका को बढ़ाने और मत्स्य पालन क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने वाली महत्वपूर्ण योजनाओं का समर्थन करने के लिए आईसीएआर-सीएमएफआरआई के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

सीएमएफआरआई के निदेशक डॉ. ए गोपालकृष्णन और आईसीएआर-सीएमएफआरआई, क्षेत्रीय केंद्र विझिंजम, के प्रधान-वैज्ञानिक और प्रमुख, डॉ. बी संतोष ने केंद्रीय सचिव को वहाँ के गतिविधियों के अवस्थिति की जानकारी दी। अपनी यात्रा के बाद, डीओएफ (भारत सरकार) के सचिव ने आईसीएआर-सीएमएफआरआई, विझिंजम क्षेत्रीय केंद्र में किसानों, वैज्ञानिकों, कर्मचारियों, अधिकारियों और मीडिया कर्मियों को संबोधित किया। केंद्र सरकार देश के तटीय जल क्षेत्र में बीज उत्पादन और बिवाल्व्स-मोसेल (द्विकपाटीय-सीप), खाद्य सीप एवं मोती सीप के विकास पर गंभीरता से विचार कर रही है।

Comments are closed.