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डबवाली अग्निकांड से रूह काप जाती है : वशिष्ठ गोयल

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PBK News, 30 मार्च : डबवाली अग्निकांड पीड़ितों के परिवारों ने आखिरकार 23 साल बाद इंसाफ की जंग जीत ली। दयानंद एंग्लो वैदिक स्कूल (डीएवी) डबवाली के प्रबंधन ने अपने हिस्से का पूरा मुआवजा ब्याज सहित जमा करा दिया। वर्ष 1995 में इसी स्कूल के समारोह के दौरान हुए भीषण अग्निकांड में 406 बच्चों और उनके परिवार के सदस्यों की मौत हो गई थी। हादसे में 88 लोग बुरी तरह झुलस गए थे। दशकों तक इस अग्निकांड का दंश ङोल रहे इन परिवारों के लिए यह मुआवजा कुछ ही सही पर राहत देगा। हालांकि उनके जख्मों पर तत्काल मरहम लगाने का प्रयास किया जाना चाहिए था। सरकार भले ही अपने हिस्से का मुआवजा पहले दे चुकी थी पर इन परिवारों को राहत देने के अन्य ठोस प्रयास समय पर नहीं हो पाए। बहुत से लोग इसमें जान गंवा बैठे थे। जो जिंदा बचे उनके और उनके परिवारों के लिए भी जिंदगी आसान नहीं थी। कुछ परिवार इलाज व दवा के खर्चो पर लाखों खर्च कर चुके हैं और यह सिलसिला अभी जारी है। उनको निशुल्क चिकित्सा सहायता का वादा अभी भी सिरे नहीं चढ़ा। इसलिए उनके इलाज की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए। ज्यादा दुखद तो यह है कि हादसे से हमने कोई सबक नहीं लिया। ऐसे हादसे फिर न हों यह भी सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे। प्रदेश के शहरों के भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में बने दर्जनों मल्टीप्लेक्स व बैंक्वेट हाल में आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम नहीं दिखते। सैकड़ों ऐसे बड़े-बड़े भवनों के पास फायर ब्रिगेड विभाग की अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं है। बावजूद इसके सरकारी तंत्र कोई चिंता नहीं है। इसलिए ऐसे हादसे फिर नहीं दोहराए जाएंगे, इसकी गारंटी कोई नहीं ले सकता। सरकार को चेतना होगा, इससे पहले कि कोई बड़ा हादसा फिर हो जाए।

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