गुरुग्राम, 22 सितम्बर (ब्यूरो) : बादशाहपुर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहीं कुमुदनी राकेश दौलताबाद ने अपने सोशल मीडिया पर लाइव आकर जनता से सीधे संवाद किया। इस दौरान उन्होंने अपनी तबीयत खराब होने की जानकारी दी, लेकिन बीमार होने के बावजूद जनसंपर्क जारी रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। कुमुदनी राकेश दौलताबाद ने कहा, लगातार सुबह से रात तक जनसंपर्क करने के कारण मैं बीमार हो गई हूं, लेकिन मैं आपसे मिलने का अपना वादा नहीं तोड़ूंगी। बीते 80 दिनों से लगातार अपने क्षेत्र के हर कोने तक पहुंचने का संकल्प लिए, कुमुदनी राकेश दौलताबाद ने लगभग पूरी विधानसभा का दौरा पूरा कर लिया है। शेष बचे क्षेत्रों का जनसंपर्क अगले 10 दिनों में पूरा करने का उन्होंने संकल्प लिया है। इस संवाद में उन्होंने आगामी 5 अक्टूबर के चुनाव को धर्मयुद्ध की उपमा देते हुए जनता के सामने महत्वपूर्ण सवाल रखा, यह चुनाव कार्यनीति और जातिवादी ताकतों के बीच है। अब यह जनता को तय करना है कि वे विकास और कार्यनीति का समर्थन करेंगे या फिर विभाजनकारी शक्तियों का।
कुमुदनी राकेश दौलताबाद ने अपने दिवंगत पति पूर्व विधायक राकेश दौलताबाद के अधूरे कार्यों को याद करते हुए बताया कि किस तरह उन्होंने असंभव को संभव बनाया। उन्होंने भावुक होकर कहा राकेश ने 5600 एकड़ जलमग्न भूमि पर किसानों के लिए जो काम किया, वह किसी चमत्कार से कम नहीं था। काश, वे आज हमारे बीच होते और किसानों की खुशियों को देख पाते। राकेश दौलताबाद की राजनीतिक और सामाजिक विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प करते हुए कुमुदनी राकेश दौलताबाद ने क्षेत्र के विकास कार्यों को तेजी से पूरा करने का वादा किया। अपने विरोधियों पर निशाना साधते हुए, कुमुदनी राकेश दौलताबाद ने भाजपा के प्रत्याशी राव नरबीर सिंह को खुले मंच पर बहस की चुनौती दी थी, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। इस पर कुमुदनी ने कहा, अगर किसी छोटे प्रत्याशी ने चुनौती दी होती, तो समझ आता पर मैं बादशाहपुर की मौजूदा विधायक की पत्नी हूं, और जनता के सबसे बड़े समर्थन वाली नेता रही हूं। क्या राव नरबीर को बहस में हारने का डर है कुमुदनी राकेश दौलताबाद ने कांग्रेस के प्रत्याशी वर्धन यादव पर भी टिप्पणी करते हुए सवाल उठाया, क्या उन्हें लगता है कि एक महिला विधायक नहीं बन सकती क्या विधायक पद केवल पुरुषों के लिए ही है, उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता और राजनीतिक अनुभव को सामने रखते हुए कहा कि वे राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर हैं और 24 सालों से राकेश जी के राजनीतिक कार्यों में सक्रिय रही हैं। मैं अपने विरोधियों से बेहतर हूं और जनता के सामने उनसे बहस के लिए तैयार हूं, उन्होंने आत्मविश्वास के साथ कहा। कुमुदनी राकेश दौलताबाद का यह संबोधन न केवल भावनात्मक रूप से प्रभावी रहा, बल्कि राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। उनके आत्मविश्वास और दृढ़ता ने जहां जनता को प्रभावित किया, वहीं विपक्षी खेमों में हलचल मच गई है। अब देखना होगा कि 5 अक्टूबर को बादशाहपुर की जनता जातिवादी ताकतों का समर्थन करती है या कार्यनीति को अपनाती है। चुनावी रणभूमि में कुमुदनी राकेश दौलताबाद की यह अपील जनता के दिलों को छू गई है, और इसका असर मतदान पर भी पड़ सकता है।
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