गुड़गांव, 6 जुलाई (अजय) : ओट्स को ब्रेकफास्ट में जरूरी तौर पर शामिल किया जा रहा है। इसे डाइट में शामिल करने के अलग-अलग कारण भी हैं। ऐसे लोग जो वजन कम करना चाहते हैं, हृदय रोगों से परेशान हैं, ब्लड शुगर लेवल बढ़ा हुआ है या पेट की प्रॉब्ल्म से जूझ रहे हैं, वे इसे अपनी डाइट का हिस्सा बना रहे हैं। फायबर से भरपूर ओट्स डाइट में शामिल करना कितना जरूरी है, जानते हैं डॉ. ऋतू खिरोलिया से।
डॉ. ऋतू खिरोलिया ने सवालों के जवाब कहा :
सवाल: ओट्स है क्या और डाइट में कितना शामिल करना चाहिए?
जवाब:ओट्स को हिंदी में जई कहते हैं। यह जौ की तरह दिखने वाला अनाज है। फायबर और कई जरूरी पोषक तत्व इसमें पाए जाते हैं। दूसरे अनाज की तुलना में इसमें गुड फैट और प्रोटीन अधिक पाए जाता है। इसमें विटामिन-बी, आयरन, मैग्नीज, फास्फोरस और जिंक भी है। 40 ग्राम ओट्स से करीब 142 कैलोरी मिलती है। सामान्य लोग इसे सुबह-शाम नाश्ते में ले सकते हैं। अगर वजन बढ़ा हुआ है, डायबिटीज और हार्ट पेशेंट हैं तो इसे डिनर में भी शामिल कर सकते हैं। एक कटोरा ओट्स आधा कप दूध या दही के साथ ले सकते हैं। जिन्हें सीलियक रोग (गेहूं व अन्य अनाज से बने खाद्य पदार्थ से एलर्जी) हैं वे ग्लूटेन फ्री ओट्स ले सकते हैं। ये मार्केट में उपलब्ध हैं।
सवाल: किन लोगों के लिए यह ज्यादा जरूरी है?
जवाब: ये कोई भी खा सकता है। खासकर जो वजन कम करना चाहते हैं उन्हें डाइट में शामिल करना चाहिए क्योंकि इसमें कैलोरी कम होती है, फायबर अधिक होता है और भूख कंट्रोल में रहती है। साथ ही शरीर में नमी बनी रहती है। इसमें मौजूद फायबर और एंटीआॅक्सीडेंट्स कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकते हैं जिससे हृदय और पेट के रोगों से राहत मिलती है। इसके अलावा फायबर स्टार्च को पचाकर ब्लड शुगर सामान्य रखता है जिससे डायबिटीज के रोगियों फायदा होता है। इसमें लिग्नेंस और एंटीरोलैक्टोन जैसे फायटोकेमिकल पाए जाते हैं जो ब्रेस्ट कैंसर से बचाता है। इसे खाने से सेरेटोनिन हार्मोन रिलीज होता है जो दिमाग को शांत कर खुश रखता है।
सवाल: यह कितनी तरह का होता है और डाइट में कैसे शामिल करें?
जवाब:ओट्स तीन प्रकार का होता है। पहला-स्टीम कट, यह चावल के टुकड़े जैसा होता है। ओट्स की दूसरी किस्म के मुकाबले इसे पकाने में अधिक समय लगता है। इसे दलिया की तरह बना सकते हैं या पीसकर आटे में मिलाएं और रोटी बना सकते हैं। दूसरा-रोल्ड, इसे प्रोसेसिंग के दौरान चपटा किया जाता है। इसका आकार अंडाकार होता है। एक गिलास दूध में आधा कप रोल्ड ओट्स और एक चम्मच चीनी डालकर उबालें और खाएं। तीसरा- इंस्टेंट, यह प्री-कुक्ड फॉर्म में मार्केट में उपलब्ध है। इसे पकाने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसे पोहे में मिलाकर खा सकते है। या दूध में ड्राय फ्रूट के साथ मिलाकर खा सकते हैं।
सवाल: यह कैसे तैयार होता है?
जवाब:ओट्स यानी जई, जौ की प्रजाति का पौधा है। यह शरद ऋतु की फसल है। कटाई के बाद जई को कूटते हैं और भूसा व दाने अलग किए जाते हैं। इसके दानों को सेंककर तोड़ते हैं जिसे स्टील कट ओट्स कहते है। इसे दलिए के रूप में खाते हैं। इसके दानों को भाप में पकाकर बेलन से चपटा भी किया जाता है जिसे रोल्ड ओट्स कहते हैं। जई के आटे से बने इन दिनों बिस्किट काफी पसंद किए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब में इसकी पैदावार अधिक होती है।
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