गुरुग्राम, 10 अप्रैल (अजय राठौर) : लखेरा समाज के प्रति निस्वार्थ भाव से कार्य करने वाले समाजसेवियों के सहयोग और समर्पण को कभी भुलाया नही जा सकता। लखेरा समाज के प्रति अपने जीवन के अब तक करीब 42 वर्ष दे चुके विजय एन्क्लेव पालम डाबड़ी रोड दिल्ली निवासी देश के प्रथम लखेरा राष्ट्रीय अध्यक्ष 77 वर्षीय राजेन्द्र डाबड़ी ने समाज से विभिन्न कुरीतियों को समाप्त करने में अपनी अहम भूमिका निभाई है, जिसे समाज कभी भुला नही सकता। उक्त विषय में आज वरिष्ठ पत्रकार अजय राठौर गुरुग्राम से बातचीत के दौरान राजेन्द्र डाबड़ी ने बताया कि मुख्य रूप से वह राष्ट्रीय स्तर पर समाज की राजनीती में 1982 में सक्रिय हुए थे, उससे पहले जिले स्तर पर समाजिक कार्यो में हमेशा लगे रहते थे। उन्होंने बताया कि 1982 के समय में तीन प्रांतीय राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव हुआ करता था, जिसमे उतर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा से 1982 में वह चुनाव लड़कर प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। इस दौरान उन्होंने कुल 3 बार चुनाव लड़ा और करीब 15 वर्षो तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। जिसके बाद उनके कार्यकाल में ही सभी प्रान्तों में अलग से प्रांतीय व जिले स्तर पर अध्यक्षों का चुनाव प्रक्रिया शुरू कराई गई। उस समय में सभी लोगों में प्रेम भाव होता था और सभी लोग प्रधानों का सम्मान करते हुए उनके फेसलों को भी मान्य करते थे। उन्होंने बताया कि 1982 से लेकर वर्ष 2024 तक उन्हें समाजिक कार्यो में भागीदारी देते हुए करीब 42 वर्ष हो चुके है, जहां भी सामाजिक कार्य होते है वह आज भी बढ़चढ़ कर भाग लेते है। उनके कार्यकाल के दौरान लखेरा समाज का कोई भी मामला चाहे विवाह से जुड़ा हो या फिर अन्य मामले कोर्ट तक नही जाने दिए गये सभी मामलों का समझोता उनके द्वारा आयोजित की जाने वाली पंचायतों में पंचों के बिच मिल बैठकर निपटा दिया जाता था। समाज में बड़े बड़े मामलों को उन्होंने समाज की पंचायत में समझोता कराने का कार्य किया था, जिसमे लोग एक दुसरे का सम्मान करते थे और पंचों के फेसलों को सही मानते हुए अपने उपर लागू भी करते थे। उनके कार्यकाल के दौरान ही मृत्यु उपरांत तेहरवी के दिन पगड़ी पर लगने वाली बोली की प्रथा को भी उनके कार्यकाल में समाप्त कर 11 रूपये निर्धारित किये गये थे, जोकि आज भी लोग 11 रूपये की प्रथा को मान रहे है। उन्होंने कहा कि अब उनकी उम्र हो चुकी है, अब आने वाली पीढ़ी को लखेरा समाज के उत्थान के लिए कुछ समय जरुर निकालना चाहिये, युवा पीढ़ी मिलकर अपने बड़ो के साथ चले तो समाज उत्थान के लिए हम बड़े बड़े राजनितिक लोगों से मिलकर समाज का भला कर सकते है। उदाहारण देकर बात करू तो लखेरा सेवा संगठन टीम गुरुग्राम ने अपने समाजिक कार्यो से न केवल भारत देश के लखेरा समाज का ध्यान अपनी तरफ खीचा है, बल्कि अन्य बिरादरी व बड़े बड़े नेताओं को भी अपने कार्यो से प्रभावित किया है। इस तरह के संगठन देश में और भी बनने चाहिए, इससे अपनी नेक कमाई के कुछ हिस्से से पुन्य कार्यो के साथ-साथ समाज सेवा भी होती है और लखेरा समाज का नाम भी रोशन होता है। इस तरह के कार्यो के लिए टीम गुरुग्राम बधाई की पात्र है, उनके सभी समाजिक कार्यो में उनकी और उनके परिवार की जहां भी जरूरत होगी वह उसके लिए हमेशा उनके साथ है। इसके अलावा देश में अन्य जगह भी कोई संगठन इस तरह के कार्य करता है तो उनको भी उनका हमेशा समर्थन रहेगा। आज के युग में लखेरा सेवा सगंठन ने अलग सोच के साथ कार्य शुरू किया है, जिससे उनकी पहचान भी बनी है, विभिन्न जिलो एवं प्रदेश स्तर पर भी इस तरह के संगठन बनाकर लोगों को आगे आना चाहिए।
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