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छह महीने में पांच डॉक्टरों ने छोड़ा एम्स, चिंतित हुई केंद्र सरकार

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PBK NEWS | नई दिल्ली। सरकारी क्षेत्र के अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के लिए केंद्र सरकार एक तरफ नए एम्स बना रही है। वहीं देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान दिल्ली स्थित एम्स में ही छह महीने के अंदर पांच डॉक्टरों ने संस्थान का साथ छोड़ दिया।

सबसे बड़ा झटका न्यूरो सर्जरी विभाग को लगा है। क्योंकि एम्स से इस्तीफा देने वालों में दो न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रोफेसर हैं, जिन्होंने निजी अस्पताल का दामन थाम लिया। संस्थान की अंदरूनी राजनीति से नाखुश होकर उन डॉक्टरों ने एम्स छोड़ा है। ऐसे में डॉक्टरों को एम्स के साथ जोड़कर रखना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।

न्यूरो सर्जरी एम्स के सबसे व्यस्त विभागों में से एक है। स्थिति यह है कि न्यूरो सर्जरी विभाग में मरीजों की लंबी प्रतीक्षा सूची है। यहां मरीजों को ऑपरेशन के लिए डेढ़-दो साल बाद की तारीखें दी जाती है। ऐसे में न्यूरो सर्जरी के डॉक्टरों को एम्स छोडऩा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर रही है।

सबसे पहले न्यूरो सर्जरी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. बीएस शर्मा ने इस्तीफा दिया था। बाद में करीब एक महीना पहले प्रोफेसर डॉ. सुमित सिन्हा ने भी एम्स छोड़कर गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में ज्वाइन कर लिया। इसके अलावा हेमेटोलॉजी विभाग के एक प्रोफेसर व दो अन्य डॉक्टरों ने एम्स छोड़ा है। एम्स से डॉक्टरों का मोहभंग होना नया नहीं है। तीन साल में 18 डॉक्टर एम्स छोड़कर जा चुके हैं।

वैसे सरकार संस्थान की चिकित्सा गुणवत्ता को बरकरार रखने के लिए यहां के डॉक्टरों को दूसरे सरकारी अस्पतालों के मुकाबले अधिक वेतन व सुविधाएं भी देती है। लेकिन सातवें वेतन आयोग का लाभ अभी एम्स के डॉक्टरों को नहीं मिल रहा है। इससे भी संस्थान के डॉक्टरों में नाराजगी बढ़ रही है।

एम्स फैकल्टी एसोसिएशन ने संस्थान के निदेशक को पत्र लिखकर सातवें वेतन आयोग का लाभ जल्द दिए जाने की मांग की है। फैकल्टी एसोसिएशन के महासचिव डॉ. नंद कुमार ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के मरीजों के लिए एम्स ही आखिरी उम्मीद है।

इसलिए डॉक्टरों का एम्स छोडऩा दुर्भाग्यपूर्ण है। यहां के डॉक्टरों को अब तक सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं मिला। एसोसिएशन का कहना है कि वेतनमान बढ़ाने के प्रस्ताव पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने पूछा है कि यहां के डॉक्टरों को छठवें वेतन आयोग का लाभ किस आधार पर मिला था।

इसके अलावा यह भी पूछा गया है कि यहां के डॉक्टरों का वेतन यूजीसी के वेतनमान पर आधारित है ? एम्स यूजीसी के अंतर्गत नहीं आता, यह सभी जानते हैं। फिर भी ऐसे सवाल पूछना डॉक्टरों में संदेह पैदा कर रहा है।

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