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चीन से आने वाले सस्ते सामानों की भरमार से इंडियन फैक्ट्रीज को हो सकता है नुकसान

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PBK NEWS | नई दिल्ली। भारत के नीति निर्माताओं के सामने चीन के साथ सीमा पर टकराव ही एकमात्र चिंता की बात नहीं है। कमजोर युआन देश में सस्ते चीनी सामान की बाढ़ को तेज कर रहा है। यह न सिर्फ मुश्किलों से जूझ रहीं भारतीय फैक्ट्रियों को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि यह देश के बड़े व्यापार घाटे के दायरे को भी बढ़ा रहा है।

देश के सबसे बड़ा ऋणदाता और शीर्ष करेंसी ट्रेडर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्या कांती घोष ने कहा इसके लिए अधिकारियों को घरेलू कंपनियों का समर्थन करने के लिए कदम उठाने चाहिए और साथ ही साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपए में हो रही बढ़त को थामना चाहिए।

घोष ने कहा कि भारत को चीनी आयातित सामानों पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम अगर ऐसा करने में कामयाब नहीं होते हैं तो भारतीय कंपनियों में प्रतिस्पर्धात्मक प्रवृत्ति कम हो जाएगी। इसके अलावा वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान को भी खतरे में डाल सकता है।

भारत की अर्थव्यवस्था के जोखिम अधिक स्पष्ट हैं क्योंकि देश में नई कर व्यवस्था ने सप्लाई चेन को प्रभावित कर दिया है। आधिकारिक डेटा के मुताबिक चार साल में पहली बार जून में कारखाना उत्पादन प्रभावित हुआ है। गौरतलब है कि भारत में मुख्य रूप से चीन से आयातित होने वाले सामानों में इलेक्ट्रॉनिक, इंजीनियरिंग और रसायन उत्पाद शामिल हैं। चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

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