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गंगा की राजनीती पर अभिभूत देश की जनता

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गुड़गांव 14 सितम्बर (अजय) : नवजन चेतना मंच के संस्थापक वशिष्ठ कुमार गोयल ने बोलते हुए कहा कि देश में गंगा की सफाई को लेकर कई तरह के लोकलुभावने वायदों से देश में सरकारें आई और गई गंगा पर होती राजनीती से आज देश की जनता अभिभूत हो चुकी है देश की जनता को डर है कि गंगा पर होती राजनीती के चलते एक समय ऐसा न आ जाए जब धीरे धीरे गंगा का अस्तितिव ही न मिट जाएँ मनमोहन सिंह कहा करते थे कि गंगा मेरी मां है। प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करने के शीघ्र बाद नरेन्द्र मोदी ने भी कहा था कि ‘गंगा ने मुझे बुलाया है, अब हमें गंगा से कुछ भी लेना नहीं, बस देना ही है।

टिहरी बांध का निर्माण नरसिम्हाराव की कांग्रेस सरकार के दौरान शुरू हुआ था। इसके बाद वाजपेयी की सरकार 1999 में सत्ता में आई और उस समय प्रश्न उठा कि क्या गंगा पर बांध बनाने से गंगा की आध्यात्मिक शक्ति पर दुष्प्रभाव पड़ता है? इस विषय पर तथा टिहरी की भूकंप सम्बन्धी सम्भावनाओं को देखने के लिए मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता में वाजपेयी ने एक कमेटी बनाई थी। इसने भूगर्भीय दृष्टिकोण से टिहरी को हरी झंडी दे दी। गंगा की आध्यात्मिक शक्ति के विषय में कमेटी ने कहा कि 4 इंच का एक पाइप बांध में डाल दिया जायेगा जो गंगा की अविरलता को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त होगा।

चार इंच के पाइप से झील में सड़ने वाले पानी निकलने को अविरलता मान लिया गया। वाजपेयी सरकार यह भूल गई कि अविरलता की जरूरत इसलिए होती है कि झील में रुका हुआ पानी सड़ने लगता है और उसकी आध्यात्मिक शक्ति ख़त्म हो जाती है। बांध के अवरोध से मछलियां भी आवाजाही नहीं कर पातीं और कमजोर हो जाती हैं। टिहरी बांध के ऊपर अब महसीर मछली नहीं पाई जाती। मछलियां ही पानी में बहने वाली गन्दगी को साफ़ करती हैं। मछलियों के कमजोर हो जाने से पानी की गुणवत्ता में गिरावट आती है। इसलिए गंगा की सफाई केवल घोषणाओं तथा ब्यानों में उलझ कर रह गई है देखना होगा कि वह दिन कब आएगा जब गंगा की सफाई को लेकर स्थिति स्पष्ट हो पाएगी

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