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प्रदेश में भ्रष्टाचार मामलों में राइस घोटाले सहित विभिन्न मुद्दे चर्चा का विषय : वशिष्ठ गोयल

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गुड़गांव (ब्यूरो) : प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है। इसी छवि को आगे रखकर ही भविष्य के चुनावों में भी उतरने की तैयारी कर रही है। यही वजह है कि कैग रिपोर्ट ने भ्रष्टाचार के कुछ मामले उठाए तो विपक्ष ने सरकार को घेरने का प्रयास तेज कर दिया। ऐसे में सरकार अपनी छवि बरकरार रखने के लिए भ्रष्टाचार की शिकायतों पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर चुकी है। 300 करोड़ के राइस घोटाले में 21 मिलर्स पर एफआइआर करा दी गई है और दोषी अफसरों को बर्खास्त करने की तैयारी है। अगर अफसरों की बर्खास्तगी होती है तो निश्चित तौर पर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश जाएगा। अभी तक नौकरियों में पारदर्शिता लाकर सरकार संकेत दे चुकी है कि भ्रष्टाचार पर कोई ढील नहीं बरती जाएगी। ऐसे में पूरी अफसरशाही में संदेश जाएगा कि ढिलाई पर वह अपनी गर्दन बचा नहीं पाएंगे। यह अफसरों की मिलीभगत का ही नतीजा था कि मिलर्स ने आवंटित धान में से 115 करोड़ का चावल एफसीआइ को वापस लौटाया ही नहीं। अफसरों ने यह जांचने का कभी प्रयास भी नहीं किया कि केंद्रीय पूल में कितना चावल लौटाया गया है। लापरवाही की इंतहा यह रही कि बैंक गारंटी के चेक भी बाउंस होते रहे और कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह सब धड़ल्ले से चलता रहा और अफसर कार्रवाई की बजाय आंख पर पट्टी बांधे बैठे रहे। अन्य विभागों में अफसरों की ऐसी ही मनमानी की पोल कैग ने खोली है और जांच शुरू की गई है। सरकार को ऐसे भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ त्वरित जांच करवा कर कार्रवाई सुनिश्चित करवानी होगी तभी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में उसे आमजन का साथ मिल पाएगा।अगर अफसरों की बर्खास्तगी होती है तो ऐसे में पूरी अफसरशाही में संदेश जाएगा कि ढिलाई बरतने पर वह अपनी गर्दन बचा नहीं पाएंगे

 

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