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बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग व वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिये गम्भीर खतरा : शरद गोयल

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PBK News (अजय) : आज धरती पर जीवन खतरे में पड़ गया है क्योंकि पर्यावरण इस तरह से प्रदूषित हो गया है कि पृथ्वी के सारे जीव संकट में पड़ गये हैं, हाल ही एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी है कि समूचे संसार में अकल्पनीय जीव-नाश शुरू हो चुका है। रिपोर्ट के अनुसार संसार की तीन चौथाई पक्षी विनाश के कगार पर हैं और मेढ़कों की संख्या संसार में लगातार कम हो रही है।

प्रदूषण से वायुमंडल तो बुरी तरह प्रभावित हो ही रहा है, इससे जलवायु और मानव समाज भी प्रभावित हो रहा है। आधुनिक टेक्नोलाॅजी और विकास के परिणामस्वरूप प्रदूषण और इससे सम्बंधित समस्याएं बढ़ी हैं। वनों की कटाई से जीवन के स्तर में बड़ी गिरावट आयी है। इससे वर्षा के क्रम में परिवर्तन हो रहा है और भूमि का विनाशकारी कटाव हो रहा है।

नाइट्रोजनी उर्वरकों के अधिक उपयोग से नदियों के पानी में नाइट्रेटों की मात्रा बढ़ रही है। इनका घनत्व बढ़ जाने से पीने का पानी भी प्रदूषित हो रहा है। नाइट्रेट की अधिक मात्रा विषैली होती है और पेट के कैंसर का कारण बनती है, इनका संचयन मानव स्वास्थ्य के लिये जोखिमकारी है। सामान्य भारतीय के शरीर के ऊतकों में संचयित डी.डी.टी. की मात्रा संसार में अधिकतम है।

विश्व भर में लगभग 50 करोड़ आॅटोमोबाइलों में उपयोग हो रहा ईंधन प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। वर्ष 1982 के सर्वे के अनुसार पर्यावरण नियंत्रण के सभी नियमों के बाद भी विकसित देशों में 150 लाख टन कार्बनमोनो ऑक्साइड 10 लाख टन नाइट्रोजन ऑक्साइड और 15 लाख टन हाइड्रोकार्बन प्रति वर्ष वायुमंडल में पहुँचते हैं। ईंधनों के जलने से कार्बन मोनो ऑक्साइड की जो मात्रा वायुमंडल में आती है, वह अरबों टन प्रतिवर्ष है, संसार में 70 प्रतिशत वायुमंडल प्रदूषण विकसित देशों के कारण हो रहा है।  जिस पर हमें अब अंकुश लगाना होगा

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