PBK NEWS | नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की शनिवार यानी आज होने वाली बैठक में फैब्रिक से गारमेंट बनाने के जॉब वर्क पर टैक्स की दर घटाकर पांच फीसद की जा सकती है। काउंसिल माल के परिवहन के लिए तंत्र को भी अंतिम मंजूरी दे सकती है। इसके तहत व्यापारी को निश्चित मूल्य से ज्यादा के माल के परिवहन के लिए इसका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली काउंसिल एक जुलाई से जीएसटी के क्रियान्वयन की भी समीक्षा करेगी। इसके अलावा मुनाफाखोरी निरोधक के नियम को लागू करने के लिए भी तंत्र तैयार किया जा सकता है।
केंद्रीय एक्साइज व कस्टम्स बोर्ड (सीबीईसी) की चेयरपरसन वनजा सरना ने कहा कि 29 में से 25 राज्यों में चेकपोस्ट खत्म होने से माल का परिवहन आसान हो गया है। जीएसटी में ई-वे बिल लागू होने के बाद परिवहन व्यवस्था और सुगम होगी। 50 हजार रुपये से ज्यादा मूल्य के माल के परिवहन के लिए इसका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन अनिवार्य होगा। उन्होंने बताया कि ई-वे बिल का पूरा तंत्र तैयार हो गया है। इसे बेहतर तरीके से लागू किया जा सकता है। उन्होंने पर कोई टिप्पणी नहीं की कि 50 हजार रुपये की सीमा ई-वे बिल में जारी रहेगी या बदली जाएगी। कई वर्गो ने इसे बढ़ाने की मांग की है। अधिकारियों के अनुसार कल होने वाली काउंसिल की बैठक में इस पर फैसला हो सकता है।
सुगमता से लागू हुआ जीएसटी:
इस बीच वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने लोकसभा में कहा कि जीएसकी कमोबेश सुगमता से लागू हो गया है। सरकार ने इसे लागू करने वाली दिक्कतें दूर करने को बड़ी संख्या में वरिष्ठ अधिकारियों को लगाया है। अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव स्तर के 209 अधिकारियों को पूरे देश में लगाया गया है। इन अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार नया टैक्स बिना किसी परेशानी के लागू हो गया है। एक अन्य सवाल के जवाब में गंगवार ने कहा कि फ्लैट, मकान और कांप्लेक्स निर्माण की लागत कम होने की संभावना है क्योंकि गुड्स व सर्विस के टैक्स पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा।
आयात पर कर संग्रह जुलाई में दोगुना:
जीएसटी लागू होने के बाद आयातित वस्तुओं पर देय कस्टम ड्यूटी और आइजीएसटी से जुलाई में राजस्व संग्रह दोगुने हो गया। इस दौरान 30 हजार करोड़ रुपये राजस्व एकत्रित किया गया। आयातित वस्तुओं पर काउंटरवेलिंग ड्यूटी और स्पेशल एडीशनल ड्यूटी भी लगती है। कुछ आयटमों पर सेस पर देय होता है। पिछले साल जुलाई में इन करों से 16 हजार करोड़ रुपये टैक्स जमा हुआ था।
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