PBK News, 17 अप्रैल (ब्यूरो) : फरीदाबाद रोड स्थित ग्वाल पहाड़ी में 464 एकड़ जमीन मामले की अदालती लड़ाई नगर निगम हार गया है। जिला अदालत ने फॉर्म हाउस मालिकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए नगर निगम को जमीन खाली करने के आदेश दिए हैं। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सिविल) प्रशांत राणा की कोर्ट ने कहा कि अगर जमीन से कब्जा नहीं हटाया गया तो संबंधित नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाएगा। कोर्ट के इस निर्णय से अधिकारीयों की कार्यशेली पर सवाल खड़े किये है उक्त विषय में नव जन चेतना मंच के पदाधिकारी वशिष्ठ गोयल ने बोलते हुए कहा उन्होंने कहा कि इस पर सरकार को कार्यवाही करते हुए उन भ्रष्ट अधिकारीयों पर कार्यवाही करनी चाहिए जोकि इस जमीन खरीद फरोस्त में शामिल थे
करीब दस वर्षो से इस जमीन पर नगर निगम और फार्म हाउस मालिक अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। जनवरी 2017 में तत्कालीन उपायुक्त टीएल सत्यप्रकाश द्वारा जमीन का म्यूटेशन बदलकर प्राइवेट बिल्डरों और फॉर्म हाउस मालिकों के नाम कर देने से मामला गरमा गया था। यह मामला विधानसभा में भी उठा था। इससे पहले 2012 से 2014 तक इस जमीन के मालिकाना हक की लड़ाई पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में भी पहुंच चुकी थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों को जिला अदालत में जाने को कहा था। गौरतलब है कि 2008 में गांव ग्वाल पहाड़ी में बड़े पैमाने पर पंचायती जमीन की खरीद-फरोख्त हुई थी। 12008 में नगर निगम के गठन के बाद निगम क्षेत्र की सभी पंचायतें निगम के अधीन हो गईं। इसी आधार पर निगम ने पंचायती जमीन पर कब्जा लेने की कोशिश शुरू की थी। इसके खिलाफ कब्जाधारक हाई कोर्ट चले गए। लोगों का कहना था कि उन्होंने जमीन पंचायत से खरीदी है, इसलिए जमीन उनकी है। निगम की दलील थी कि पंचायत को जमीन बेचने का अधिकार ही नहीं है। निगम गठन के बाद पंचायती जमीन निगम के अधीन हो गई है। इस पर निगम का ही कब्जा होना चाहिए। निगम अधिकारियों के मुताबिक नियमानुसार शामलात की जमीन को किसी प्राइवेट बिल्डर या व्यक्ति को नहीं बेचा जा सकता है।संदीप रतन ’ गुरुग्राम 1फरीदाबाद रोड स्थित ग्वाल पहाड़ी में 464 एकड़ जमीन मामले की अदालती लड़ाई नगर निगम हार गया है। जिला अदालत ने फॉर्म हाउस मालिकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए नगर निगम को जमीन खाली करने के आदेश दिए हैं। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सिविल) प्रशांत राणा की कोर्ट ने कहा कि अगर जमीन से कब्जा नहीं हटाया गया तो संबंधित नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाएगा। नगर निगम जमीन के मालिकाना हक को लेकर पर्याप्त साक्ष्य दे पाया। 1करीब दस वर्षो से इस जमीन पर नगर निगम और फार्म हाउस मालिक अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। जनवरी 2017 में तत्कालीन उपायुक्त टीएल सत्यप्रकाश द्वारा जमीन का म्यूटेशन बदलकर प्राइवेट बिल्डरों और फॉर्म हाउस मालिकों के नाम कर देने से मामला गरमा गया था। यह मामला विधानसभा में भी उठा था। इससे पहले 2012 से 2014 तक इस जमीन के मालिकाना हक की लड़ाई पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में भी पहुंच चुकी थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों को जिला अदालत में जाने को कहा था। गौरतलब है कि 2008 में गांव ग्वाल पहाड़ी में बड़े पैमाने पर पंचायती जमीन की खरीद-फरोख्त हुई थी। 12008 में नगर निगम के गठन के बाद निगम क्षेत्र की सभी पंचायतें निगम के अधीन हो गईं। इसी आधार पर निगम ने पंचायती जमीन पर कब्जा लेने की कोशिश शुरू की थी। इसके खिलाफ कब्जाधारक हाई कोर्ट चले गए। लोगों का कहना था कि उन्होंने जमीन पंचायत से खरीदी है, इसलिए जमीन उनकी है। निगम की दलील थी कि पंचायत को जमीन बेचने का अधिकार ही नहीं है। निगम गठन के बाद पंचायती जमीन निगम के अधीन हो गई है। इस पर निगम का ही कब्जा होना चाहिए। निगम अधिकारियों के मुताबिक नियमानुसार शामलात की जमीन को किसी प्राइवेट बिल्डर या व्यक्ति को नहीं बेचा जा सकता है।
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