बादशाहपुर, 17 जुलाई (अजय) : कोलेस्ट्रॉल, हमारे शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण यौगिक है। कोलेस्ट्रॉल मोम जैसा एक वसीय पदार्थ होता है और यह हमारे शरीर में नई कोशिकाओं (सेल्स) के बनने, तंत्रिकाओं की सुरक्षा, और हार्मोन्स का उत्पादन जैसे महत्वपूर्ण कार्य करता है। आम तौर पर, हमारा लिवर (जिगर) उतनी मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का निर्माण कर लेता है, जितनी मात्रा में हमारे शरीर को जरुरत होती है। लेकिन, लिवर द्वारा बनाए कोलेस्ट्रॉल के अलावा, भी जब हम अधिक मात्रा में आहार से कोलेस्ट्रॉल लेने लगते हैं, तो इसकी मात्रा हमारे शरीर में बढ़ने लगती है।
उक्त विषय पर जानकारी देते हुए ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहित लाठर कहते है कि धीरे-धीरे शरीर में बढ़ती कोलेस्ट्रॉल की मात्रा जब हमारे रक्त में पहुंचती रहती है, तो वह रक्त वाहिकाओं में चिपकती रहती है और धीरे-धीरे रक्त वाहिका को ब्लॉक करने लगती है। जब रक्त वाहिका पूरी तरह रुक जाती है तो इससे हृदय समेत पूरे शरीर में रक्त प्रवाह में कमी आने लगती है। यदि कोलेस्ट्रॉल बढ़ता चला जाए और वह इतनी मात्रा में बढ़ जाए कि हृदय तक रक्त का प्रवाह ही रुक जाए तो व्यक्ति को हार्ट अटैक आ जाता है। इसलिए हमें शुरुआत से ही, कोलेस्ट्रॉल बनाने वाली चीजों को नपी तुली मात्रा में लेना चाहिए।
डॉ. मोहित का कहना है कि हमारे शरीर में लो डेनसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल यानी बुरा कोलेस्ट्रॉल (बैड कोलेस्ट्रॉल), यानी यह कोलेस्ट्रॉल हमारी रक्त वाहिकाओं और धमनियों में जम कर उन्हें ब्लॉक कर कोरोनरी धमनी रोग के ख़तरे को बढ़ा देता है। हाई डेनसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल यानी अच्छा (गुड कोलेस्ट्रॉल), यह कोलेस्ट्रॉल बुरे कोलेस्ट्रॉल को धमनियों से वापिस लिवर में लेकर जाता है। डॉ. मोहित लाठर कहते है कि जब शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा और अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम हो जाती है, तो बुरा यानी बैड कोलेस्ट्रॉल धमनियों में जमने लगता है और हृदय रोगों का खतरा बढ़ा देता है। हर एक व्यक्ति जो 20 वर्ष से ऊपर हो चुका है, कम से कम पांच साल में एक बार अपना कोलेस्ट्रॉल टेस्ट जिसे लिपोप्रोटीन पैनल कहा जाता है जरूर कराना चाहिए। इससे किसी भी व्यक्ति के कोलेस्ट्रॉल की वजह से हृदय रोगी होने की आशंका का पता चल जाता है। इस जाँच में रक्त में लिपोप्रोटीन की मात्रा की जाँच की जाती है, जो रक्त में कोलेस्ट्रॉल को लेकर जाता है।
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