PBK News : वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर कदम उठाने चाहिए। मुद्दा गंभीर है, पर इससे निपटने के लिए सरकारें और एजंसियां गंभीर नहीं हैं। यही नाकारा रवैया समस्या को तेजी से बढ़ा रहा है। हालांकि इस बार संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में वायु प्रदूषण को भी एक गंभीर मुद््दा मानते हुए कहा गया है कि पराली जैसे कृषि अपशिष्ट जलाने पर भारी-भरकम जुर्माना लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने पर भी जोर दिया गया है। लेकिन ये कवायदें ऐसी हैं जिनमें सरकारें अब तक लाचार ही नजर आई हैं और अदालतों और एनजीटी जैसे प्राधिकारों के आदेशों पर रत्ती भर भी अमल नहीं हो पाता। पराली जलाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बाद सरकार ने उच्चस्तरीय कार्यबल बनाया भी, लेकिन आशाजनक परिणाम दिख नहीं रहे। इसलिए सर्वोच्च अदालत ने केंद्र से कहा है इस कार्यबल की रिपोर्ट का प्रचार किया जाए ताकि लोगों को पता चल सके कि ‘कुछ किया जा रहा है।’ अदालत ने साफ कहा है कि वायु प्रदूषण रोकने के कार्यक्रम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तक सीमित न रहें, सारी जानकारी जनता तक पहुंचाई जाए। देखने की बात है कि इस मामले में सरकारें कब सक्रिय होती हैं।
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