[post-views]

अधीनस्थ न्यायालय के निष्कर्ष पर हस्तक्षेप नहीं : हाईकोर्ट

47

PBK NEWS | इलाहाबाद । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अधीनस्थ न्यायालय के तथ्यात्मक निष्कर्ष पर हाईकोर्ट को अनुच्छेद 227 के तहत हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। तथ्यों पर दिए गए फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट को अपील की तरह तथ्यों व साक्ष्यों के निष्कर्ष पर विचार करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने किरायेदारी विवाद को लेकर दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने नाथूराम बिलराम गेट कासगंज एटा के आनंद कुमार और दिनेश कुमार के बीच दुकान की किरायेदारी विवाद को लेकर दाखिल याचिका पर दिया है। याची को दुकान का किराया बकाया रखने के आधार पर बेदखल करने के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत अधिकारों का प्रयोग सीमित है। यह न्याय रूपी रथ के पहिए को गतिमान रखने, न्यायिक व्यवस्था कायम रखने और न्याय व्यवस्था पर जनता का विश्वास बनाए रखने तक ही सीमित है। कोर्ट का कहना था कि हाईकोर्ट, अधीनस्थ कार्यालयों की गलतियों को दुरुस्त करने के लिए अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करता है।

वह भी तब, जब न्यायालय ने बिना क्षेत्राधिकार के आदेश दिया हो, या क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने में विफल रहा हो या जबरन क्षेत्राधिकार अर्जित कर आदेश दिया हो। कहा कि न्याय देने में विफल रहने पर हाईकोर्ट, अधीनस्थ न्यायालय के आदेश पर हस्तक्षेप कर सकता है।

Comments are closed.