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मानवाधिकारों की उल्लंघना जबरन धर्मांतरण पर बने और सख्त कानून : सुरजीत यादव

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बादशाहपुर, 12 जून (अजय) : देश में जबरन धर्मांतरण एक ऐसी प्रथा है जिसमें व्यक्ति को उसके स्वतंत्रता का अधिकार छीना जाता है और उसे किसी अन्य धर्म में प्रवृत्त किया जाता है। यह धार्मिक स्वतंत्रता, मताधिकार और मानवाधिकारों की गंभीर उल्लंघन है। इस प्रयास के बावजूद कि सख्त कानूनों और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों ने इस प्रकार के कार्यों को निषेधित किया है, जबरन धर्मांतरण की घटनाएं अब भी दुनिया भर में जगह जगह घट रही हैं। उक्त विषय में हिन्दू सेना एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरजीत यादव ने कहा कि जबरन धर्मांतरण एक घोर अन्याय है और यह मानवाधिकारों की उल्लंघना है। भारत जेसे देश और जहां हिन्दू अल्पसंख्यक है वहां सख्त कानूनों की आवश्यकता है ताकि इस अनैतिक और अमानवीय प्रथा को रोका जा सके। हम सभी को एकजुट होकर इस अधिकारिक धार्मिक परिवर्तन के विरोध में लड़ना चाहिए और मानवाधिकारों की सरकारों द्वारा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।

 सुरजीत यादव ने कहा कि जबरन धर्मांतरण या धर्म परिवर्तन, शब्दों का शारीरिक और मानसिक दबाव का उपयोग करके किया जाता है, जिससे व्यक्ति को उसके मूल धर्म या मत से अलग करके उसे किसी अन्य धर्म में प्रवृत्त किया जाता है। यह विवादास्पद, अन्यायपूर्ण और मानवाधिकारों की उल्लंघना है। इस प्रक्रिया में धार्मिक प्रयासों, जुल्म, प्यार, शारीरिक और मानसिक तंगी, और अन्य जबरदस्ती के उपायों का इस्तेमाल किया जाता है।

 जबरन धर्मांतरण मानवाधिकारों की सीधी उल्लंघन है। मानवाधिकारों की संविधानिक सुरक्षा जोकि अन्तर्राष्ट्रीय मानदंडों में भी उपलब्ध है, सख्ततापूर्वक धार्मिक स्वतंत्रता, मताधिकार और आधिकारिक धार्मिक परिवर्तन का अधिकार सुनिश्चित करती है। यह व्यक्ति की स्वतंत्रता, संवेदनशीलता, विचारधारा और धार्मिक प्रतिष्ठा के अधिकार को प्रभावित करता है। इसके अलावा यह बाधाएं बनाता है और सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधता को कम करता है। जबरन धर्म परिवर्तन की गतविधियों की रोक लिए सख्त कानूनों की बेहद जररूत है।

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