नई दिल्ली: रणबीर कपूर अपनी फिल्म ‘जग्गा जासूस’ की रिलीज के लिए तैयार हैं और इस फिल्म की रिलीज के बाद उनका पूरा ध्यान संजय दत्त की जिंदगी पर बन रही फिल्म पर होगा, जिसमें वह संजय दत्त का किरदार निभा रहे हैं, लेकिन वह खुद नहीं चाहते कि कभी उनकी जिंदगी पर कोई फिल्म बने क्योंकि अपनी जिंदगी की हकीकत को पर्दे पर पेश करने की हिम्मत उनमें नहीं है. रणबीर कपूर की ‘जग्गा जासूस’ कई वर्षो के इंतजार के बाद आखिरकार रिलीज के मुहाने पर खड़ी है. यह 18 साल का ‘जग्गा’ जासूस जेम्स बांड की तरह हीरो टाइप जासूस नहीं है लेकिन उनके किरदार को कई जासूसों का मिश्रण कह सकते हैं. रणबीर कपूर फिलहाल, संजय दत्त की जिंदगी पर बन रही फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हैं. लेकिन जब संजय की तरह की रणबीर की जिंदगी पर फिल्म बनाने की बात की गई तो रणबीर ने आईएएनएस को बताया, ‘मुझे नहीं लगता कि मैं अपनी जिंदगी को लेकर कभी इतना ईमानदार हो पाऊंगा कि अपनी कहानी को पर्दे पर पेश करने की हिम्मत जुटा सकूं. हर किसी में संजय दत्त जितनी हिम्मत नहीं होती क्योंकि बायोपिक में सिर्फ अच्छाइयां ही नहीं बल्कि बुराइयों और कमियों को भी दिखाना पड़ता है. यह बहुत मुश्किल है.’ ranbir kapoor sanjay dutt संजय दत्त की बायोपिक में काफी हद तक संजू बाबा बने नजर आ रहे हैं रणबीर कपूर. रणबीर ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘जग्गा का किरदार हीरो टाइप किरदार नहीं है क्योंकि जासूस बनने के लिए आपको हीरो की तरह दिखने की जरूरत नहीं है. हम इस किरदार को थोड़ा हटके बनाना चाहते थे और इसलिए हमने जग्गा के हेयरस्टाइल और अन्य तमाम चीजों पर एक्सपेरिमेंट किया. अनुराग दादा जग्गा का अतरंगी टाइप हेयरस्टाइल चाहते थे, जो उसकी पहचान बन सके.’ jagga jasoos रणबीर को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में 10 साल पूरे हो गए हैं और वह अपने अब तक के करियर से खासा खुश भी हैं, लेकिन अभी भी रणबीर संतुष्ट नहीं हुए हैं. रणबीर का कहना है, ‘मुझे इंडस्ट्री में 10 साल पूरे हो गए हैं और मैं अपने अब तक के करियर से खुश हूं लेकिन संतुष्ट नहीं हूं. अभी भी बहुत कुछ करना है. मैं वही करता रहा हूं जिसे करने में मुझे मजा आता है. मैं आज में जीता हूं, कल की चिंता में नहीं कुढ़ता.’ साढ़े तीन सालों के इंतजार के बाद आखिरकार यह फिल्म इसी शुक्रवार को रिलीज हो रही है. इस फिल्म की रिलीज डेट कई बार चेंज की गई है और आखिकार अब यह फिल्म 14 जुलाई को रिलीज हो रही है
PBK NEWS | नई दिल्ली: अमेरिका के दो शीर्ष परमाणु विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अपने परमाणु हथियारों के ज़खीरे को लगातार आधुनिक बनाता जा रहा है, और परंपरागत रूप से पाकिस्तान को ध्यान में रखकर परमाणु नीति बनाने वाले इस देश का ध्यान अब चीन की तरफ ज़्यादा है.
डिजिटल जर्नल ‘आफ्टर मिडनाइट’ के जुलाई-अगस्त अंक में प्रकाशित एक आलेख में यह दावा भी किया गया है कि भारत अब एक ऐसी मिसाइल विकसित कर रहा है, जिससे दक्षिण भारतीय बेसों से भी पूरे चीन पर निशाना साधा जा सके.
हैन्स एम. क्रिस्टेन्सन और रॉबर्ट एस. नॉरिस ने आलेख ‘इंडियन न्यूक्लियर फोर्सेज़ 2017’ में लिखा है कि भारत के पास अनुमानतः इतना प्लूटोनियम जमा हो गया है, जिनसे वह 150-200 परमाणु हथियार बना सकता है, लेकिन संभवतः उसने सिर्फ 120-130 हथियार बनाए हैं.
दोनों विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर पाकिस्तान पर केंद्रित रहने वाली भारतीय परमाणु नीति अब चीन की तरफ ज़्यादा ज़ोर देती नज़र आ रही है. उनका कहना है, “वैसे, भारत परंपरागत रूप से पाकिस्तान को रोकने पर ध्यान केंद्रित करता रहा है, लेकिन परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण संकेत देता है कि वह अब चीन के साथ भविष्य में होने वाले रणनीतिक ताल्लुकात पर ज़्यादा ज़ोर दे रहा है…”
विशेषज्ञों के अनुसार, “इसका परिणाम यह होगा कि भारत अगले दशक के भीतर खासी नई क्षमताएं पैदा कर लेगा, जिनसे यह भी तय होगा कि वह पाकिस्तान के खिलाफ परमाणु हथियारों की भूमिका को कैसे देखता है…”
इस बात की ओर ध्यान दिलाते हुए कि भारत लगातार अपने परमाणु हथियारों के ज़खीरे को आधुनिक बनाता जा रहा है, और उसने कई नए परमाणु हथियार सिस्टम विकसित कर लिए हैं, विशेषज्ञों ने कहा कि भारत के पास इस वक्त सात परमाणु-सक्षम सिस्टम मौजूद हैं, जिनमें दो विमान, चार ज़मीन पर मौजूद बैलिस्टिक मिसाइलें और एक समुद्र में स्थित बैलिस्टिक मिसाइल शामिल है.
आलेख के अनुसार, “कम से कम चार सिस्टम और विकसित किए जा रहे हैं… यह कार्यक्रम भी डायमनिक स्टेज तक पहुंच चुका है, और लम्बी दूरी की ज़मीन और समुद्र से मार करने में सक्षम मिसाइलों को संभवत अगले एक दशक के भीतर तैनात किया जा सकेगा…”
विशेषज्ञों ने आलेख में दावा किया है कि भारत ने अनुमानतः लगभग 600 किलोग्राम वेपन-ग्रेड (हथियारों में इस्तेमाल किया जाने वाला) प्लूटोनियम तैयार कर लिया है, जो 150-200 नाभिकीय हथियार बनाने के लिए पर्याप्त है, लेकिन सारे प्लूटोनियम को हथियारों में तब्दील नहीं किया गया है.
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