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चीन को भारत का सख्त संदेश, सेना के कदम पीछे नहीं हटेंगे

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PBK NEWS |  नई दिल्ली। सिक्कम-भूटान सीमा पर डोकलाम क्षेत्र में भारत और चीन की सेनाएं पिछले एक महीने से महज 120 मीटर की दूरी पर खड़ी है। लेकिन भारत का मंसूबा साफ है कि वह ना तो चीन के दबाव में आएगा और ना ही अपनी सेना को वहां से हटाएगा। लेकिन भारत किसी भी तरह से अपनी तरफ से आक्रामकता भी नहीं दिखाएगा और ना ही चीन के आक्रामक उकसावे में आएगा।

कूटनीतिक तरीके से मामले का हल निकालने की कोशिश में भी भारत कोई कोताही नहीं करेगा। संकेत इस बात की भी है कि भारत और चीन के बीच मामले का एक सर्वमान्य हल निकालने के लिए कूटनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की 26-27 जुलाई की संभावित यात्रा के दौरान दोनो देशों के बीच कुछ बीच का रास्ता निकालने की सहमति बन सकती है।

सरकार की तरफ से शुक्रवार को चीन के साथ जारी सीमा विवाद पर शुक्रवार को विपक्षी दलों को साथ ले कर चलने की कोशिश हुई है लेकिन इसके अलावा सरकार के भीतर आंतरिक स्तर पर रोजाना कई स्तरों पर पूरे हालात की समीक्षा की जा रही है। इससे जुड़े सूत्रों का कहना है कि चीन के साथ विवाद पर भारतीय सेना ने जो स्टैंड लिया है वह चीन की तरफ से बेहद आक्रामक रवैया अपनाने के बाद ही लिया गया है। चीन ने सीधे तौर पर 2012 के समझौते का उल्लंघन किया है और ऐसे में भारत को ऐसे कदम अख्तियार करने पड़े हैं। चीन की तरफ से बार बार बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किये जाने के बावजूद इस कदम से पीछे हटने का कोई सवाल नहीं है। लेकिन भारत कूटनीतिक स्तर पर इस विवाद को सुलझाने की अपनी कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता।

यही वजह है कि गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा है कि डोकलाम विवाद को सुलझाने के लिए भारत हर तरह के कूटनीतिक चैनल को खोले हुए है। सूत्रों के मुताबिक हैम्बर्ग (जर्मनी) में जी-20 देशों की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई संक्षिप्त बातचीत के बाद कूटनीतिक प्रयास और तेज कर दिये गये हैं। यह प्रयास दोनो देशों के बीच फिलहाल नई दिल्ली व बीजिंग स्थित दूतावासों के जरिए हो रहा है। इसी बीच एनएसए डोभाल के बीजिंग जाने के आसार बन रहे हैं। डोभाल ब्रिक्स देशों की शीर्ष बैठक की तैयारियों के सिलसिले में 26 जुलाई को चीन जा सकते हैं।

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