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भारतीय सैनिकों की झड़प पर अनावश्यक टिप्पणी से सेना का गिरा मनोबल : रामबीर भाटी

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गुरुग्राम, 18 दिसम्बर (ब्यूरो) : तवांग में चीनी सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प को लेकर राहुल गांधी के बयान पर भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया पर हैरानी नहीं। ऐसी प्रतिक्रिया होनी ही थी, क्योंकि मोदी सरकार पर निशाना साधने के फेर में राहुल गांधी ने भारतीय सेना की क्षमता पर ही सवाल खड़े कर दिए। रामबीर भाटी ने कहा कि पूरा देश और यहां तक कि चीन भी इससे परिचित है कि तवांग में भारतीय सैनिकों ने उसके सैनिकों को खदेड़ कर भगाया, लेकिन पता नहीं कैसे राहुल गांधी इस नतीजे पर पहुंच गए कि हमारे सैनिक चीनी सैनिकों के हाथों पिट रहे हैं। यह न केवल तथ्यों की जानबूझकर की गई अनदेखी है, बल्कि सेना का निरादर भी है। वास्तव में यह अनावश्यक टिप्पणी सेना का मनोबल गिराने वाली भी है। शायद यही कारण रहा कि राहुल गांधी के बयान पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने भी आपत्ति जताई।

रामबीर भाटी ने कहा कि समझना कठिन है कि चीन के मामले में राहुल गांधी रह-रह कर ऐसे बयान क्यों देते रहते हैं, जो चीन के अधिक मनमाफिक होते हैं। गलवन घाटी में खूनी झड़प के बाद भी उनके वक्तव्य सरकार को कोसने वाले ही अधिक थे। इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि जब डोकलाम में चीनी सेना के साथ गतिरोध जारी था, तब वह विदेश मंत्रालय को सूचना दिए बिना चीनी राजदूत से मुलाकात कर आए थे। इतना ही नहीं, उन्होंने इस मुलाकात को गोपनीय रखने की भी कोशिश की थी। यह भी किसी से छिपा नहीं कि कश्मीर के मामले में राहुल गांधी के कई बयान ऐसे रहे हैं, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान ने अपने को सही साबित करने के लिए किया।

रामबीर भाटी ने कहा कि प्रमुख विपक्षी राजनीतिक दल का नेता होने के नाते राहुल गांधी को किसी भी मसले पर सरकार का विरोध करने, उसे कठघरे में खड़ा करने और उससे सवाल करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें सरकार के खिलाफ बोलने और राष्ट्रीय हितों को चोट पहुंचाने वाले अपने बयानों के बीच अंतर करना ही होगा। इसलिए और भी, क्योंकि वह प्रायः इस अंतर की अनदेखी करते दिखते हैं। उदाहरण स्वरूप इस बार उन्होंने सेना के शौर्य के खिलाफ ही बयान दाग दिया। क्या यह ऐसा बयान नहीं, जिसे चीन अपने पक्ष में इस्तेमाल कर सकता है?

यह समझ आता है कि चीन से जारी तनातनी को लेकर राहुल गांधी सरकार से सवाल पूछें और जवाब न मिलने की स्थिति में उसे कठघरे में खड़ा करें, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं कि वह ऐसे बयान दें, जैसे चीन भी नहीं दे रहा है। यदि भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व कर रहे राहुल गांधी भारत की रक्षा कर रहे सेना के जवानों के बारे यह कहेंगे कि वे चीनी सेना के हाथों पिट रहे हैं तो इसका विरोध होगा ही, क्योंकि यह हर लिहाज से एक अरुचिकर और अप्रिय बयान है।

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