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महिलाओं में बढ़ता बांझपन चिंता का विषय : डॉ. ऋतू

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PBK News, 13 जुलाई (ब्यूरो) : देश में लगातार बढ़ रहे महिलाओं में बांझपन के मामले बड़ी चिंता का विषय है जिसके लिए लोगों में महिलाओं के प्रति एक अजीब धारणा भी बन जाती है जबकि इसमें महिला का कोई कसूर नही होता कुछ मामलों में कुछ लापरवाही तथा मेडिकल समस्यां की वजह से भी महिलाओं में बच्चे नही होने की समस्यां पैदा करता जिसको महिला रोग विशेषज्ञ से सुझाव के बाद दूर किया जा सकता है उक्त बातें स्वास्तिक अस्पताल की डॉ. ऋतू खिरोलिया ने बोलते हुए कही

डॉ. ऋतू कहती है कि महिलाओं में उनके स्वास्थ्य, मेडिकल इतिहास, दिनचर्या या कुछ विकारों के कारण बांझपन (इनफर्टिलिटी) हो सकता है। यह कारण आंतरिक व बाहरी दोनों ही हो सकते हैं। किसी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले कम से कम 1 साल (या 6 महीने अगर आप 35 वर्ष से अधिक उम्र की हैं) तक गर्भधारण करने का प्रयास करना चाहिए। अपनी जांच के अलावा अपने साथी की जांच करवानी भी ज़रूरी है। उक्त विषय पर महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. ऋतू खिरोलिया जानकारी देते हुए बताती है कि निचे दिए कुछ मुख्य कारणों से भी महिलाओं में कई बार परेशानी हो जाती है

अंडाणु का न निकलना (डिम्बोत्सर्जन)- प्रजनन के इस शुरुआती चरण में, महिला के अंडाशय द्वारा मासिक धर्म के चक्र में अंडाणु निकलता है। गर्भधारण करने के लिए ओव्युलेशन की प्रक्रिया बहुत अहम है। कुछ महिलाओं में ओव्युलेशन अनियमित होता है या बिल्कुल  नहीं होता। डॉक्टर आपकी माहवारी की जांच कर सही ओव्युलेशन की पुष्टि कर सकता है।

बंद या अविकसित फेलोपियन ट्यूब (डिम्ब नली)- पुरुष के शुक्राणु महिला के मासिक चक्र में विकसित अंडाणु से फेलोपियन ट्यूब में मिलते हैं। इस नली का अविकसित या बंद होना बांझपन का कारण बन सकता है।

गर्भाशय में विकार – निषेचन के बाद अंडाणु गर्भाशय की परत से जुड़कर (इम्प्लांटेशन) कर भ्रूण के विकसित होने का पहला चरण शुरू करता है। इसके बाद पूरी गर्भावस्था की अवधि में स्वस्थ गर्भाशय में शिशु को सही पोषण मिल पाता है। गर्भाशय में कुछ बड़े आकर या गलत स्थान पर हुयी रसोली (यूटेराइन फ़िब्रोइड) भी महिलाओं के गर्भधारण में समस्या पैदा कर सकती हैं।

शारीरिक संबंध में कमी – मासिक धर्म चक्र के दिनों में शारीरिक संबंधो (इंटरकोर्स) में कमी अंडाणु को निषेचित होने के काफी कम मौके कर देती है। अपने डॉक्टर से अपने मासिक चक्र के बारे में विस्तृत जानकारी ज़रूर लें।

पेरीमेनोपॉज़  – रजोनिवृत्ति से पहले के चरण में गर्भधारण में परेशानी आ सकती है। इस चरण में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोन जैसे हॉर्मोन का उत्सर्जन कम हो जाता है। इसका नकारात्मक असर मासिक धर्म चक्र और ओव्युलेशन पर पड़ता है। अनियमित माहवारी और प्रजनन संबंधी अन्य प्रक्रियाओं के मंद पड़ने की वजह से महिलाओं में बांझपन की समस्या इस अवस्था में सर्वाधिक हो जाती है। गर्भधारण करने के बाद इस चरण में गर्भपात के मामले भी ज़्यादा होते हैं।

कैंसर – महिलाओं में सर्विक्स कैंसर, यूटेराइन कैंसर, कैंसर फ़िब्रोइड का इलाज बाद, स्त्री प्रजनन अंगो खासकर गर्भाशय पर गहरा असर पड़ता है। इस कारण गर्भाशय की परत एंडोमेट्रियोसिस नुक्सान पहुँचता है और बांझपन की समस्या होती है।

इन कारणों के अलावा शरीर में किसी खनिज की कमी और सेक्सुअली ट्रांसमिटेड संक्रमण से महिलाओं में बांझपन हो सकता है।

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