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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जैसी संस्थाओं का नाम बदला जाना चाहिए- सीएम हिमंत बिस्वा सरमा

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गुवाहाटी, 7सिंतबर। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जैसी संस्थाओं का नाम बदला जाना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि ‘इंडिया’ शब्द और ब्रिटिश काल से जुड़ी प्रथाएं ‘औपनिवेशिक खुमारी’ है और देश ‘नवजागरण के दौर’ में प्रवेश कर रहा है, ऐसे में इन प्रथाओं को खत्म किया जाएगा. हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘‘केंद्रीय बैंक का नाम ‘रिजर्व बैंक ऑफ भारत’ होना चाहिए. यह नवजागरण का दौर है. असम ने कई पुरानी विरासतें बदल दी हैं और केंद्र में भी कई बदलाव किए गए हैं.’’ उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासकों द्वारा शुरू की गई कई प्रथाएं देश में जारी हैं और उन्हें बदलने की जरूरत है.

हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा- ‘‘लोगों ने 75 वर्षों तक इंतजार किया कि एक मोदी आएगा और इस औपनिवेशिक खुमारी को जड़ से खत्म करेगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘नेहरू (जवाहरलाल) द्वारा किए गए किसी काम के लिए मोदी जी को कैसे दोषी ठहराया जा सकता है?’’ उन्होंने ‘इंडिया’ नाम के इस्तेमाल और ‘औपनिवेशिक प्रथाओं’ को जारी रखने के स्पष्ट संदर्भ में यह बात कही. यह इंगित करते हुए कि उच्चतम न्यायालय ने पहले फैसला सुनाया था कि इंडिया और भारत नामों का परस्पर उपयोग किया जा सकता है, शर्मा ने कहा, ‘‘चाहे वह इंडिया हो या भारत, मुझे नहीं लगता कि यह बहस का विषय है. जब अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता विधेयक संसद में रखा तो किसी ने कोई आपत्ति नहीं की.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मनमोहन सिंह ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी, जबकि एचडी देवेगौड़ा ने इंडिया के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी.’’ हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की टिप्पणी को भी खारिज कर दिया कि यह पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ही थे जिन्होंने ‘इंडिया’ नाम पर आपत्ति जताई थी क्योंकि इसका तात्पर्य यह कि ‘हमारा देश ब्रिटिश राज का उत्तराधिकारी राष्ट्र था और पाकिस्तान एक अलग राष्ट्र था.’

हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘‘थरूर ने जो कहा वह आधा सच था. जिन्ना ने क्या कहा यह महत्वपूर्ण नहीं है. हमारे लिए महत्वपूर्ण यह है कि ऋषि-मुनियों ने कौन सा नाम इस्तेमाल किया और वह भारत था न कि इंडिया.’’ सनातन धर्म की उत्पत्ति पर कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर के सवाल पर हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘‘सनातन शब्द में ही जवाब है. इसका मतलब यह है जिसका न कोई आरंभ है और न ही कोई अंत. सनातन धर्म अनंत काल से अस्तित्व में है और अनंत काल तक अस्तित्व में रहेगा.’’

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