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जहांगीरपुरी कांड को लेकर खुफिया एजेंसी को ज्यादा मुस्तैदी की जरूरत : गोयल

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हाल ही में दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जन्मोत्सव पर निकली शोभायात्रा के दौरान जो पत्थरबाजी व हिंसा की घटनाएं हुई वह पूर्ण रुप से खुफिया एजेंसियों की असफलता का परिणाम है। उक्त विषय जानकारी देते हुए शरद गोयल ने कहा कि यह कोई पहला मौका नहीं जब दिल्ली के संवेदनशील क्षेत्रों में इस प्रकार की घटना हुई हो। हालांकि किसी राजनेता से बात करेंगे तो वे इसके लिए भी आंकड़े प्रस्तुत करके यह जताने का प्रयास करेंगे कि कुछ वर्षों पहले इससे कहीं ज्यादा सांप्रदायिक दंगे दिल्ली में होते थे। क्या लगभग तीन करोड़ की आबादी वाली  राजधानी दिल्ली में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के दौरान इस प्रकार की घटना का होना सुरक्षा एजेंसियों व खुफिया एजेंसियों का बड़ी असफलता नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में भिन्न भिन्न प्रकार की सुरक्षा व खुफिया एजेंसियां  मुस्तैद रहती हैं  I इनमें चाहे दिल्ली पुलिस की सी.आई.डी., सिक्यूरिटी शाखा हो या एन.आई.ए. या आई.बी  इत्यादि अन्य एजेंसियां हो।  जहां तक सवाल दिल्ली पुलिस का है जिसके ऊपर सबसे पहले दिल्ली की खुफिया व सुरक्षा विभाग का दायित्व है वहां के अधिकारी व कर्मचारियों को सी.आई.डी. व सिक्यूरिटी में भेज दिया जाता है तो वह उनके लिए पनिशमेन्ट पोस्टिंग मानी जाती है। सच बात पूछो तो इन दोनों विभागों में ट्रांसफर कोई भी अधिकारी नहीं चाहता I सबको ट्रैफिक या पुलिस स्टेशन ही मलाईदार पोस्टिंग अच्छी लगती हैं I जहां तक सवाल अन्य विभागों का है वहां पर दिल्ली के अंदर सी.आई.डी. रखना कितना जरूरी है इस पर एक प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। दिल्ली से बांग्लादेशियों को बाहर निकालने की बात करने वाली एजेंसियों के रहते देखते- देखते दिल्ली में लाखों की तादात में रोहिंग्या ने अपना आशियाना बना लिया। इसके लिए चाहे उन्हें पार्क, फुटपाथ, रेलवे ट्रैक इत्यादि स्थानों पर भी कब्जा क्यों ना करना पड़ा हो। अगर सभी अधिकारी और पुलिस क्षेत्र के काउंसलर और विधायक इस ओर संवेदनशील होते, पूरे देश से दिल्ली में आसपास क्षेत्रों में लोगो  के पलायन पर नियंत्रण करना होगा। यही समस्या की मूलभूत वजह है I खुफिया विभाग के एक या दो कर्मचारी को थानों में तैनात करने के बजाए खुफिया विभाग के भी छोटे छोटे निगरानी कार्यालय बने, जो हर प्रकार की असंवैधानिक गतिविधियों पर निगरानी रखें,  तभी दिल्ली को एक शांतिपूर्वक जीवन गुजारने वाला महानगर बना पाएंगे अन्यथा इस तरह की वारदातें भविष्य में भी होती रहेंगी।

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