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गुजरात चुनाव: कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती हैं जदयू, बसपा और राकांपा

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PBK NEWS | अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा की 182 में से 40 सीटें आरक्षित हैं। इनमें 27 आदिवासी सीटों पर गत चुनावों में कांग्रेस का दबदबा रहा था, वहीं अनुसूचित जाति की सीटों पर भाजपा ने बाजी मारी थी। जातिगत आंदोलन के चलते इन सीटों पर सबकी नजर है। लिहाजा, इस बार इन सीटों पर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती हैं। उधर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) भी कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाती रही है।

प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ अन्य छोटे व क्षेत्रीय दल भी ताल ठोक रहे हैं। मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच रहेगा, लेकिन करीब 15 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली जदयू आदिवासी इलाकों में और बसपा अनुसूचित जाति इलाकों में कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। कांग्रेस से अलग होकर जनविकल्प मोर्चा बनाने वाले वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला शहरी इलाकों में वोट कटवा साबित हो सकते हैं, इसका सीधा नुकसान कांग्रेस के खाते में ही जाने वाला है। वह 182 सीटों पर चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

सुनने में आ रहा है कि उन्हें प्रत्याशी नहीं मिल रहे, लेकिन दो दशक तक कांग्रेस में रहकर राजनीति करने वाले वाघेला उसकी कमियों और ताकत से अच्छी तरह वाकिफ हैं। वह असंतुष्ट कांग्रेसी नेताओं का लाभ उठाने का प्रयास कर सकते हैं। मुस्लिम मतदाताओं में भी उनकी अच्छी पकड़ है, हालांकि इस बार उनके प्रति जनता में उत्साह थोड़ा कम है।

कांग्रेस ने जीती थीं तीन एससी सीटें 
राज्य की अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित 13 सीटों पर केवल तीन वडगाम, कड़ी व दाणीलीमडा पर ही कांग्रेस जीत दर्ज कर सकी थी, जबकि भाजपा वडोदरा, ईडर, गांधीधाम, बारदोली, असारवा सहित 10 सीटों पर काबिज है। भाजपा के पास दलित नेताओं के रूप में विधानसभा अध्यक्ष रमण वोरा, मंत्री आत्माराम पटेल, गणपत सिंह वसावा और जसवंत भाभौर आदि प्रमुख हैं। जबकि, कांग्रेस के पास शैलेष परमार, डॉ. अनिल जोशीयारा, अश्विन कोटवाल प्रमुख हैं। वहीं, नेता विपक्ष मोहन सिंह राठवा भी नौ बार के विधायक हैं। 27 आदिवासी सीटों में से एक पर जदयू के छोटू वसावा चुने गए थे, जबकि शेष 26 में से 16 पर कांग्रेस का कब्जा है।

सहयोगी दलों से भाजपा को उम्मीद 
गत विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के बाद राकांपा, गुजरात परिवर्तन पार्टी और जदयू का ही खाता खुल पाया था। गुजरात परिवर्तन पार्टी का भाजपा में विलय हो गया है, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा), जदयू और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया भाजपा के साथ हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में इन दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। इन दलों को मिला तीन से चार प्रतिशत वोट अगर भाजपा के खाते में आ गया तो पार्टी मजबूत स्थित में आ जाएगी।

News Source:- www.jagran.com

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