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ईज ऑफ डूइंग बिजनेस: सुधारों का असर,100वें नंबर पर पहुंचा भारत

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PBK NEWS | नई दिल्ली। भारत ने ईज ऑफ डूइं‍ग बिजनेस के मामले में एक लंबी छलांग लगाई है। साल 2017 में इस छलांग के साथ भारत 100वें पायदान पर पहुंच चुका है। आपको बता दें कि बीते साल 190 देशों की सूची में भारत 130वें पायदान पर रहा था। वहीं साल 2014 में भारत ईज ऑफ डू‍इंग बिजनेस के मामले में 142वें नंबर पर रहा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विश्व बैंक की रिपोर्ट के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि अब हमारा लक्ष्‍‍‍य टॉप 50 की पोजिशन हासिल करना है।

कारोबार करने के लिए माहौल संबंधी विश्व बैंक की रिपोर्ट पहले भी आती थी लेकिन पूर्व की सरकारों ने कभी उसे खास तवज्जो नहीं दी। मौजूदा केंद्र सरकार ने न सिर्फ इसे तवज्जो दिया बल्कि किस तरह से इस सूची में अपनी रैंकिंग सुधारी जाए, इसको लेकर एक सोची समझी रणनीति लागू की। एक वर्ष के भीतर इस रैकिंग में 30 अंकों की छलांग इस सोची समझी रणनीति का ही उदाहरण है। कई स्तरों पर काम किया गया।

केंद्र सरकार ने अपने स्तर पर और अपनी दूसरी एजेंसियों के जरिये कारोबार से जुड़े अवरोधों को दूर करने के लिए कदम उठाये। साथ ही मुंबई व दिल्ली के नगर निगमों के साथ मिलकर ही उन मानकों पर काम किया गया जिनकी वजह से अभी तक भारत इस रैकिंग में फिसड्डी साबित हो रहा था।

कारोबार शुरू करना हुआ आसान

केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार के साथ मिलकर कारोबार शुरू करने के लिए मंजूरियों की संख्या कम करवाई। नई कंपनी शुरू करने के लिए अब अधिकांश आवेदनों को ऑनलाइन ही मंजूरी मिल जाती है। साथ ही दिल्ली व मुंबई के नगर निगमों से मिलकर कारोबार से जुड़े कंस्ट्रक्शन काम में दफ्तरों से जुड़े कामकाज को काफी कम कर दिया गया।

ऑनलाइन होने से भी काफी असर पड़ा। इसका असर रैकिंग के इन मानकों पर भी दिखाई पड़ रहा है। आइबीसी का भी असर दिखा पिछले दिनों केंद्र सरकार ने न्यू इंसॉल्वेंसी व बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) लागू किया जिसके कई तरह के सकारात्मक असर कारोबार के माहौल पर पड़ने के आसार हैं। इससे कारोबार के लिए कर्ज जुटाना आसान हो गया है और कर्ज देने वालों को यह भरोसा है कि उनका कर्ज डूबेगा नहीं। कंपनी के बंद होने पर उससे कर्ज वसूलना भी पहले से आसान हो गया है। इस कदम ने रैकिंग सुधारने में मदद की है।

छोटे निवेशकों के हित सर्वोपरि

पिछले दो वर्षो से बाजार नियामक एजेंसी ने माइनॉरिटी निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कई कदम उठाये हैं। विदेशी निवेशकों के लिए माइनॉरिटी हिस्साधारकों के हित काफी महत्व रखता है। बहरहाल, सेबी का कदम सटीक बैठा है। माइनॉरिटी शेयरधारकों के मामले में रैकिंग 16 अंकों से सुधरकर चार हो गई है।

ऑनलाइन भुगतान में आई तेजी

नोटबंदी के बाद सरकार की तरफ से देश भर में ऑनलाइन भुगतान को लेकर जो कदम उठाये गये हैं उसने भी रैकिंग सुधारने में मदद की है। कॉरपोरेट आयकर भुगतान की प्रक्रिया आसान बनाई गई है। भविष्य निधि की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर करने की व्यवस्था की गई है। अब किसी भी तरह के करों के भुगतान में पहले से कम वक्त लगता है। यही वजह है कि कर भुगतान के मामले में भारत की रैकिंग में 53 स्थानों का सुधार हुआ है।

विदेशी कारोबार में सहूलियत

सरकार की तरफ से मुंबई पोर्ट को बेहतर बनाने से आयातित माल को उतारने में अब पहले से काफी कम समय लगता है। कई तरह की प्रक्रियाएं मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से पूरी की जा रही है। मर्चेट ओवरटाइम फीस की समाप्ति से भी सकारात्मक असर पड़ा है। कांट्रेक्ट पर अमल पहले से आसान सरकार की तरफ से राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड बनाने की घोषणा की गई है। इससे स्थानीय कोर्ट में चलने वाले मामलों पर नजर रखना आसान हो गया है। इनके प्रबंधन की अब सटीक व्यवस्था हो सकती है। इस मामले में भारत की रैकिंग 172 से सुधर कर 164 हुई है। साफ है कि आने वाले दिनों में अभी इस दिशा में और काम करना है।

आइबीसी का भी असर दिखा 

पिछले दिनों केंद्र सरकार ने न्यू इंसॉल्वेंसी व बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) लागू किया जिसके कई तरह के सकारात्मक असर कारोबार के माहौल पर पड़ने के आसार हैं। इससे कारोबार के लिए कर्ज जुटाना आसान हो गया है और कर्ज देने वालों को यह भरोसा है कि उनका कर्ज डूबेगा नहीं। कंपनी के बंद होने पर उससे कर्ज वसूलना भी पहले से आसान हो गया है। इस कदम ने रैकिंग सुधारने में मदद की है।1छोटे निवेशकों के हित सवरेपरि : पिछले दो वर्षो से बाजार नियामक एजेंसी ने माइनॉरिटी निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कई कदम उठाये हैं। विदेशी निवेशकों के लिए माइनॉरिटी हिस्साधारकों के हित काफी महत्व रखता है। बहरहाल, सेबी का कदम सटीक बैठा है। माइनॉरिटी शेयरधारकों के मामले में रैकिंग 16 अंकों से सुधरकर चार हो गई है।

कांट्रेक्ट पर अमल पहले से आसान 

सरकार की तरफ से राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड बनाने की घोषणा की गई है। इससे स्थानीय कोर्ट में चलने वाले मामलों पर नजर रखना आसान हो गया है। इनके प्रबंधन की अब सटीक व्यवस्था हो सकती है। इस मामले में भारत की रैकिंग 172 से सुधर कर 164 हुई है। साफ है कि आने वाले दिनों में अभी इस दिशा में और काम करना है।

विश्व बैंक ऐसे करता है रैंकिंग

दस संकेतकों के आधार पर विश्व बैंक प्रदर्शन का आकलन करके रिपोर्ट जारी करता है। रिपोर्ट की अहमियत इसलिए है क्योंकि इससे देश में व्यवसाय शुरू करने की प्रक्रिया की सरलता का पता चलता है। दस संकेतकों के आधार पर सभी देशों की रैंक तय की जाती है। इनमें बिजली कनेक्शन लेने में वक्त, अनुबंध लागू करना, कारोबार शुरू करना, संपत्ति पंजीकरण, दिवालियेपन के मामले सुलझाना, निर्माण प्रमाणपत्र, कर्ज लेने में लगने वाला समय व अन्य शामिल हैं।

News Source :- wwww.jagran.com

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