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मौत के बाद भी चर्चाओं में जिंदा रहीं सुनंदा पुष्कर, जानें- कब क्या हुआ

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नई दिल्ली । सुनंदा पुष्कर की मौत सवा चार साल तक मीडिया एवं सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बनी रही। कई बार इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल होने की अफवाह फैली, लेकिन अंतत: दिल्ली पुलिस ने इस घटना को आत्महत्या करार दे दिया।

शशि व सुनंदा के बीच हुई थी कहासुनी

15 जनवरी 2014 को होटल लीला पैलेस की तीसरी मंजिल के एक कमरे में सुनंदा ने चेक इन किया था। इस दौरान वह काफी तनाव में थीं। एक दिन बाद शशि थरूर के आने पर दोनों सुइट नंबर 345 में शिफ्ट हो गए थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार, दोनों में 16 व 17 जनवरी की देर रात कहासुनी व लड़ाई हुई थी। होटल के कर्मचारी नारायण स्वामी ने पुलिस को दिए बयान में बताया था कि उन्होंने 17 जनवरी को आखिरी बार दोपहर में सुनंदा को देखा था। थरूर शाम करीब साढ़े छह बजे लौटे तो सुनंदा का कमरा बंद था। वह अटैच ड्राइंग रूम वाला सुइट था।

बयान में विरोधाभास 

नारायण ने जब थरूर से पूछा कि वह मैडम यानी सुनंदा को जगा दें तो थरूर ने कहा था कि उन्हें सोने दो। वह पूरी रात जगी हैं। इसके बाद थरूर कॉफी पीकर सोने चले गए थे। वहीं, थरूर ने पुलिस को दिए बयान में कहा था कि उन्हें तालकटोरा स्टेडियम में चल रही कांग्रेस की बैठक में शामिल होने जाना था। वहां जाने से पहले उन्होंने जब सुनंदा को जगाने की कोशिश की तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने तुरंत अपने निजी सचिव अभिनव कुमार को इसकी सूचना दी। अभिनव ने पुलिस को रात साढ़े आठ बजे घटना की सूचना दी थी।

कब क्या हुआ

15 जनवरी 2014- सुनंदा पुष्कर ने होटल लीला पैलेस में चेक इन किया।

17 जनवरी 2014- शशि थरूर के आने पर दोनों सुइट नंबर 345 में शिफ्ट हुए।

17 जनवरी 2014: सुनंदा पुष्कर होटल के कमरे में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाई गईं। एसडीएम जांच बैठाई गई।

18 जनवरी 2014: डॉ. सुधीर गुप्ता, डॉ. आदर्श कुमार, डॉ. शशांक पुनिया की देखरेख में मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया।

19 जनवरी 2014: केरला इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के निदेशक डॉ. जी विजयराघवन ने मीडिया में बयान दिया कि सुनंदा को ऐसी कोई गंभीर बीमारी नहीं थी, जिससे कि अचानक उनकी जान चली जाती। केरला इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में सुनंदा 12 से 14 जनवरी तक अपना इलाज कराया था।

21 जनवरी 2014 : सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट ने अपनी रिपोर्ट में मौत का कारण जहर देना बताया। एसडीएम आलोक शर्मा ने पुलिस को हत्या, खुदकशी के दृष्टिकोण से मामले की जांच करने के लिए कहा।

23 जनवरी 2014: मामला क्राइम ब्रांच को दिया गया, लेकिन क्राइम ब्रांच ने केस लेने से मना कर दिया।

22 मार्च 2014- फोरेंसिक विभाग ने विसरा रिपोर्ट जारी कर बताया कि मौत का कारण जहर नहीं था। पुलिस ने फिर रिपोर्ट को एम्स भेजकर उसकी राय मांगी।

मई 2014-एम्स ने सीएफएसएल को एक प्रश्न सूची भेजकर उसमें दर्ज सवालों के जवाब मांगे।

जून 2014- पहले सप्ताह में फोरेंसिक एक्सपर्ट की कमेटी बनाई गई।

जून 2014: एम्स के फोरेंसिक विभाग के प्रमुख सुधीर गुप्ता ने कहा कि रिपोर्ट तैयार करने में उनपर दबाव बनाया जा रहा है।

2 जुलाई 2014 : एम्स ने सुधीर के आरोपों का खंडन किया और स्वास्थ्य मंत्री को रिपोर्ट सौंपी। पुलिस कमिश्नर ने गृहमंत्री को भी इसकी जानकारी दी। 6 जनवरी 2015-दिल्ली पुलिस आयुक्त ने मीडिया को दिए बयान में सुनंदा पुष्कर मामले में हत्या की धारा के तहत मामला दर्ज किए जाने संबंधी बयान दिया।

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