PBK NEWS | नई दिल्ली: भारतीय लोकतंत्र की अच्छाइयों का जब भी उदाहरण दिया जाएगा तो शायद प्रणब मुखर्जी का नाम जरूर लिया जाएगा. स्कूल जाने के लिए अक्सर नदी तैरकर पार करने वाले प्रणब मुखर्जी ने जमीन से उठकर देश के सर्वोच्च नागरिक बनने तक का सफतर तय किया. सत्ता के गलियारों में वे संकटमोचक का रोल निभाते रहे तो राष्ट्रपति के पद पर देश के एक ऐसे अनुभवी अभिभावक की भूमिका निभाई, जो सरकार को हर गलत कदम के लिए सचेत करते रहे. साथ ही उन्होंने देश हित में फैसले लेने में तनिक भी देर नहीं की.
ऐसे महान राजनेता की सक्सेस स्टोरी किसी भी युवा के लिए प्रेरणादायी हो सकती है. अक्सर जब कभी हम किसी महान हस्ती की कामायाबी की कहानी पढ़ते हैं तो जेहन में सवाल आता है कि आखिर यह शख्स किसे अपना गुरु मानता था. प्रणब मुखर्जी के बारे में आप अब तक काफी कुछ पढ़ और सुन चुके होंगे और काफी कुछ जानना चाहते होंगे. ऐसे हम आपको बता रहे हैं आखिर प्रणब मुखर्जी किसे अपना गुरु मानते हैैं.
प्रणब मुखर्जी ने खुद बताया था कौन हैं उनके गुरु: साल 2012 में राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनने के बाद प्रणब मुखर्जी प्रचार अभियान में जुटे थे. राष्ट्रपति चुनाव में वोट करने वालों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए प्रणब मुखर्जी ने टीवी चैनलों और अखबारों को इंटरव्यू भी दिए थे. इसी दौरान प्रणब मुखर्जी ने एक टीवी चैनल से कहा था, ‘मैं आज जो भी हूं वह मैंने इंदिरा गांधी से सीखा है, मेरी गुरु.”
इस इंटरव्यू में प्रणब दा ने कहा था कि भारत की पूर्व प्रधानमंत्री ने उनकी काबलियत और निष्ठा को देखकर केंद्र में बुलाया था. इंदिरा गांधी ने 46 साल की उम्र वाले प्रणब मुखर्जी को 1982 में देश का वित्त मंत्री बनाया.
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