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2019 : लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार, राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की अखंडता रहेगा अहम मुद्दा

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गुड़गांव 16, अगस्त (अजय) : चुनावों का मुख्य मुद्दा भ्रष्टाचार ही रहा है। मुद्दे और भी रहे, किंतु कई बार निर्णायक मुद्दा भ्रष्टाचार-विरोध ही रहा। लोकसभा के अगले चुनाव में भी भ्रष्टाचार ही मुख्य मुद्दा हो सकता है। निसंदेह राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की अखंडता जैसे मुद्दे भी रहेंगे, परंतु भ्रष्टाचार तो जन-जन को सीधे स्पर्श करने वाला मुद्दा है। भले किसी अमीर देश का भ्रष्टाचार वहां के लोगों की सुख-सुविधा में थोड़ी सी ही कटौती करता हो, लेकिन भारत जैसे गरीब देश में सरकारी-गैर सरकारी भ्रष्टाचार तो भुखमरी भी पैदा करता है। भ्रष्टाचार को लेकर इस देश में हमेशा दो तरह की शक्तियां काम करती रही हैं। एक शक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य सहनशीलता की नीति अपनाती है या अपनाने की कोशिश करती है। वह कभी सफल होती है तो कभी विफल। दूसरी शक्ति के लिए भ्रष्टाचार कोई मुद्दा ही नहीं है। न दोनों तरह की शक्तियां दोनों गठबंधनों में हैं परंतु एक में ज्यादा हैं तो दूसरे में कम। इन्हीं दो शक्तियों के बीच 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा। याद रहे कि अगले आम चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और दोनों तरफ से तैयारियां जोरों पर हैं। लोकसभा चुनाव के पहले कुछ राज्यों में विधानसभाओं के भी चुनाव होने हैं, लेकिन उनके परिणाम कुछ ही पूर्वाभास दे सकेंगे, क्योंकि प्रांतीय चुनाव के मुद्दे भी अलग होंगे और नेता भी।

आजादी के तत्काल बाद से ही सरकारों में भ्रष्टाचार की छिटपुट खबरें आने लगी थीं परंतु सत्ता में आए स्वतंत्रता सेनानियों के पास पुण्य की पूंजी अपेक्षाकृत बड़ी थी इसलिए वे लगातार तीन चुनाव जीतते चले गए, लेकिन 1967 आते-आते जब भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया तो प्रतिपक्षी दलों ने आपसी एकता बढ़ाई और सीमित सफलता पाई।

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