बादशाहपुर, 19 जुलाई (अजय) : बच्चों द्वारा दोस्तों तथा अपने अभिभावकों के सामने की जाने वाली मन की बातें बच्चों को आत्मनिर्भर बनाती है। जिसके बाद उनका भविष्य भी वही से तय होना शुरू हो जाता है। इन बातों को ध्यान में रखने वाले माता पिता को अपने बच्चे का भविष्य उज्जल बनाने में काफी मदद मिलती है उक्त बातें आर.बी.एस.एम. स्कूल के प्रबंधक भागीरथ राघव ने बोलते हुए कही।
उन्होंने एक वाक्य का जिक्र करते हुए बताया कि एक बच्चे ने लिखा कि बीस साल बाद मैं बड़ा हो जाऊंगा। हमारी पढ़ाई पूरी हो जाएगी। हम पास हो जाएंगे। हम सबको कोई न कोई नौकरी मिल जाएगी। हमारी शादी भी हो जाएगी। आधे लड़के तो शादी के बाद अहमदाबाद, हिम्मतनगर और दिल्ली काम करने चले जाएंगे और बाकी नौकरी पर लग जाएंगे।”
उन्होंने कहा कि बच्चे सोचते हुए कहते है कि बाहर नौकरी करने के बाद जब हम होली, दीपावली जैसे त्योहारों पर घर लौटेंगे तो पैसे लेकर आएंगे। अपनी पत्नी और माता-पिता को पैसे देंगे। तब तक हमारे बच्चे बड़े हो जाएंगे। उनकी पढ़ाई पूरी होने के बाद उनकी भी नौकरी लग जाएगी। उनकी भी शादी हो जाएगी। तब उनके भी बच्चे हो जाएंगे। वे जो भी कमा कर लाएंगे, अपनी पत्नी को देंगे।”
बच्चों के लेखन में उपरोक्त बातों का आना, इस तथ्य की तरफ संकेत करता है कि वे आस-पड़ोस में होने वाले तमाम जीवन व्यवहारों से परिचित हैं। वे अपने जीवन की सार्थकता इन्हीं सामाजिक भूमिकाओं के निर्वहन में समझते हैं। इसलिए वे अपने बच्चों की भूमिकाओं के बारे में बात करते हुए, अपनी भूमिकाएं उन्हें सौंपते हुए नज़र आते हैं।
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