नई दिल्ली । मवेशी चारे के लिए मांग बढ़ने से जौ और मक्के के दाम में महज एक महीने में 100 रुपये प्रति क्विंटल का उछाल आया है। बरसात में हरी घास का अभाव होने से मवेशी चारे यानी कैट्टल फीड के लिए जौ और मक्के की मांग बढ़ गई है। मंडी कारोबारियों का कहना है कि बारिश के कारण पशुओं के लिए हरी घास या चारे की किल्लत हो गई है।
इसलिए डेयरीवालों की एनिमल फीड की मांग बढ़ने से जौ और मक्के में मिलों की खरीदारी बढ़ गई है। गौरतलब है कि नेशनल कमोडिटी एंड डेरीवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर बीते सप्ताह जौ का अगस्त अनुबंध 1,610 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि दो जुलाई को यह अनुबंध 1,493.5 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ था। इस तरह करीब एक महीने में कीमतों में 100 रुपये से ज्यादा की तेजी आई।
एनसीडीईएक्स पर हालांकि मक्का का अगस्त अनुबंध थोड़ी गिरावट के साथ 1,281 रुपये प्रतिक्विंटलपर बंद हुआ मगर पिछले तकरीबन एक महीने में 100 रुपये से ज्यादा का उठाव देखा गया क्योंकि दो जुलाई को अगस्त अनुबंध का मक्का वायदा 1,184 रुपये प्रति क्विंटल था। मंडी कारोबारियों के मुताबिक औद्योगिक मांग के बढ़ जाने से कीमतों में तेजी देखी जा रही है।
फसल वर्ष 2017-18 की रबी सीजन में जौ का उत्पादन केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 17.9 लाख टन है। देश में मक्के का उत्पादन रबी और खरीफ दोनों सीजन में होता है। बीते वर्ष 2017-18 में देश में मक्के का कुल उत्पादन 268.8 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है।
वर्ष 2018-19 के खरीफ सीजन के मक्के के लिए केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थनम मूल्य 1,700 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। इस लिहाज से मक्के का दाम काफी कम है और किसानों को उचित भाव नहीं मिल रहा है। मालूम हो कि सरकार द्वारा मक्के या जौ की खरीद नहीं की जाती है।
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