गुड़गांव 6, अगस्त (अजय) : ठीक-ठाक बारिश के बाद दिल्ली और आसपास के शहरों में जन-जीवन जिस बुरी तरह प्रभावित हुआ उसी तरह लगभग सारे देश और खासकर शहरी इलाकों में देखने को मिल रहा है। जब भी कहीं बेहतर बारिश हो जाती है, जल भराव के कारण एक तरह की नारकीय स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ऐसा बारिश के कारण नहीं, बल्कि शहरों के दुर्दशाग्रस्त ढांचे के कारण होता है। बारिश के पानी की निकासी न होने के कारण केवल सड़कें ही जलमग्न नहीं होतीं, लोगों के घरों में बरसाती और कभी-कभी तो सीवर का पानी भी घुस जाता है। अक्सर वैध-अवैध तरीके से बनीं जर्जर इमारतें गिरने का भी खतरा पैदा हो जाता है। कई बार तो वे जनहानि का कारण भी बन जाती हैैं।
बारिश के बाद यातायात के साथ अन्य कई व्यवस्थाएं भी प्रभावित होती हैैं। कहीं बिजली आपूर्ति लंबे समय के लिए बाधित हो जाती है तो कहीं पीने के पानी की आपूर्ति ठप हो जाती है। अब तो शहरों के नए इलाके भी दुर्दशा बयान करने लगे हैैं। शहरी जीवन बारिश की प्रतीक्षा करने के साथ ही उसे लेकर आशंकित रहने लगा है तो इन्हीं कारणों से। सामान्य से थोड़ी ज्यादा बारिश के बाद अगर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे बड़े और नामी शहर बदहाली की कहानी कहने लगते हैैं तो इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि अन्य शहरों की कैसी दुर्गति होती होगी? अगर बारिश के बाद दिल्ली और मुंबई की तरह से अन्य शहरों की बदहाली राष्ट्रीय खबरों का हिस्सा नहीं बनती तो इसका यह मतलब नहीं कि वहांं सब कुछ ठीक रहता है।
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