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गलत नीतियों के चलते देश का किसान हतास और दुखी : गोयल

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गुड़गांव, 27 अगस्त (अजय) : वर्तमान सरकार के दौरान किसानों के हाल और बेहाल हुए हैं। बीते वर्ष मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान कई किसानों की जान चली गई थी। वहीं मौसम आधारित जोखिम, छोटी होती जोतें, फसलों की बढ़ती लागत एवं बाजार मूल्यों में असंतुलन कृषि क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं हैं। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसी सेवाओं पर लगातार बढ़ता खर्च भी किसानों की परेशानी बढ़ा रहा है। इस दौर में खेती घाटे का सौदा बन गई है। जहां औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर सात प्रतिशत से अधिक है वहीं पिछले दो वषों में खेती में मूल्य आधारित वृद्धि दर दो प्रतिशत से कम रही है।

किसानों एवं खेती की इस हालत के लिए सरकारी एवं प्रशासनिक तंत्र जिम्मेदार है जो कृषि क्षेत्र की वित्तीय प्राथमिकताओं का निर्धारण इस पर जीवन निर्वाह करने वाले किसान मजदूरों, जो देश की आबादी का लगभग 60 प्रतिशत है, के स्थान पर जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी से निर्धारित करता है। देश के जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी लगातार कम हो रही है तथा वर्तमान में 13 प्रतिशत के स्तर पर है। आर्थिक समीक्षा एवं अन्य सरकारी आंकड़े स्पष्ट करते है कि बंपर उत्पादन के बाद भी किसान गंभीर संकट में है, लेकिन सरकार के पास इससे निपटने की योजना नहीं है। इस वर्ष कृषि बजट की 60 प्रतिशत धनराशि कृषि ऋण के ब्याज अंतर को चुकाने एवं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रीमियम के लिए रखी गई है जिससे किसानों को कोई सीधा लाभ नहीं पहुंचता।

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