PBK NEWS | नर्इ दिल्ली । जीएसटी पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां निदा फाजली की शायरी के अल्फाजों को सदन में बोला वहीं सीपीएम के सीताराम येचुरी ऋग्वेद के श्लोक पढ़ते नजर आए। संसद में गंभीर चर्चाओं के बीच शेरो शायरी, कविताएं, दोहे आदि बोलने का ट्रेंड पुराना है। इस साल मात्र 12 अप्रैल तक केवल लोकसभा में 106 कविताएं और 26 दोहे पढ़े गए।
लोकसभा द्वारा संग्रहित आंकड़ों के अनुसार, लोकसभा में औसतन 10-13 सदस्य कविताएं और उर्दू दोहे पढ़ते हैं साथ ही चुटकुलों का पुट भी होता है। इस वर्ष 12 अप्रैल तक के आंकड़े के अनुसार, 106 कविताएं और 26 दोहे लोक सभा में बोले गए। इस अवधि में लोकसभा सदस्यों ने 6 श्लोक भी बोले, प्रधानमंत्री ने भी दो मौकों पर ऐसा किया। आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि कविता पाठ में बजट सत्र के दौरान सांसदों ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया।
2017 बजट सत्र में 37 कविताएं और 5 दोहों के साथ चार हास्यास्पद मौके भी आए जब सदन में ठहाके गूंजे।
सत्र के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो हमेशा अपनी बहस के दौरान श्लोक पढ़ते नजर आते हैं इस बार निदा फाजली का शेर पढ़ते नजर आए- ‘सफर में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो, सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो’ पढ़ा। विपक्षी पार्टियों से उनकी कूटनीति बदलने का आग्रह करते हुए उन्होंने आगे कहा ‘ किसी के वास्ते राहें कहां बदलती हैं, तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो’ हालांकि राज्य सभा में ऐसे साहित्यिक प्रतिभा के आंकड़े नहीं हैं। 1989 में ऊपरी सदन में हास्य और बुद्धि का एक संकलन ‘The House Laughs’ प्रकाशित हुआ था। 2003 में राज्यसभा के मूड की एक झलक दिखाने वाला संकलन ‘Humour in the House’ प्रकाशित किया गया था।
पिछले हफ्ते लिंचिंग मामले पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने उर्दू दोहे का उल्लेख किया- ‘मेरा अज्म इतना बुलंद है कि पराये शोलों का डर नहीं, मुझे खौफ आतिश-ए-गुल से कि कहीं ये चमन को जला न दे।’ संसदीय मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इसका जवाब कुछ यूं दिया- ‘खुला है झूठ का बाजार आओ सच बोलें, ना हो बाला से खरीददार आओ सच बोलें।’ सीताराम येचुरी ने भी ऋग्वेद का जिक्र करते हुए संत महर्षि चार्वाक का उल्लेख किया।
इस साल अप्रैल में जीएसटी संबंधित विधेयक पेश करते हुए सदस्यों ने भगवान हनुमान, स्वामी विवेकानंद के साथ गीता में भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच वार्तालाप, महाभारत के शांति पर्व में भीष्म और युद्धिष्ठिर के बीच के बातचीत का भी उल्लेख किया।
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